Oct 24, 2009

तेरे इश्क की दीवानगी-कुछ तो है २००२

ये गाना है फ़िल्म 'कुछ तो है' से। फ़िल्म में जीतेंद्र के पुत्र
तुषार कपूर और हेमा मालिनी की पुत्री ईशा देओल हीरो
हिरोइन हैं। इस गाने में मगर, जो जनाना चेहरा है वो नताशा
का है। गाने की सिचुअशन से ऐसा लगता है जैसे हीरो केवल ये
गाना गाने के लिए अपनी टोली के साथ उस वीरान जैसी जगह
पर आता है। उस जगह पर गाय क्या कर रही है, समझ नहीं
आ रहा। वो इतनी उछल कूद देख कर भी इतनी शांत कैसे है ये ए
क प्रश्न मेरे दिमाग में जरूर उत्पन्न हुआ है। शायद इसका जवाब
इस गाने के कोरेओग्राफेर के पास जरूर होगा।

ये एक 'कैची' किस्म की ट्यून है -दिल डिंग डोंग डिंग डोले।
सुनने लायक धुन है जिसको अनु मलिक ने तैयार किया है।
ये गाना उच्च पट्टी पे गाने वाले गायकों ने गाया है -के के और
सुनिधि चौहान। सुनिधि चौहान नई पीड़ी की गायिकाओं में सबसे
प्रतिभाशाली हैं। ये बात और है संगीतकार उनसे सारे चीखने चिल्लाने
वाले गाने गवाने की कोशिश करते हैं। जो भी हो, उनकी आवाज़ में
विविधता है और रेंज ज़बरदस्त है जिसका जोड़ अभी तक किसी नई
गायिका की आवाज़ में नहीं मिला है। इस गाने के साथ बहुत से पुत्र
पुत्री जुड़े हुए हैं । जैसे इसके बोल लिखे हैं अनजान पुत्र समीर ने।
अनु मलिक गुज़रे ज़माने के संगीतकार सरदार मलिक के सुपुत्र हैं।
फ़िल्म की प्रोड्यूसर हैं जीतेंद्र की पुत्री एकता कपूर।



गाने के बोल:

महबूबा महबूबा महबूबा महबूबा
तू है मेरे दिल का अजूबा अजूबा अजूबा

तेरे इश्क की दीवानगी सरपे चढ़के बोले
तेरे इश्क की दीवानगी सरपे चढ़के बोले
तूने क्या किया यह क्या हुआ दिल डिंग डोंग डिंग डोले
दिल डिंग डोंग डिंग डोले

तेरे इश्क की दीवानगी सरपे चढ़के बोले
तेरे इश्क की दीवानगी सरपे चढ़के बोले
तुने क्या किया यह क्या हुआ दिल डिंग डोंग डिंग डोले
हे दिल डिंग डोंग डिंग डोले

नज़रें मिला के पलके झुकाए
अपना दीवाना मुझको बनाये
नज़रें मिला के पलके झुकाए
अपना दीवाना मुझको बनाये
ऐसी बातों से कुछ होता है
नींद उड़ती है चैन खोता है
इन बाहों में अब आने दे
आने दे आने दे
जादू का जादू छाने दे
छाने दे छाने दे
इन बाहों में अब आने दे
जादू का जादू छाने दे
है कसम तुझे ऐसे न मुझे तड़पा

तेरे इश्क की.........

सोलह बरस को मैं ने संभाला
इस दिल को तूने मुश्किल में डाला
सोलह बरस को मैं ने संभाला
इस दिल को तूने मुश्किल में डाला
इस उमर में ही दिल धड़कता है
मिलने जुलने को यह तड़पता है
अब तन्हाई तड़पाती है
बेचैनी बढती जाती है
अब तन्हाई तड़पाती है
बेचैनी बढती जाती है
यह दर्द है क्या यह प्यास है क्या
इतना तो मुझे समझा

1 comments:

किताब लिखने वाले,  December 29, 2017 at 11:39 AM  

धन्यवाद

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP