ज़मीन चल रही आसमान-पहली झलक १९५४
पहली झलक में, जिसमे किशोर कुमार और वैजयंतीमाला नायक
नायिका हैं। एक प्रेरणादायक गीत भी है उसमे जो हेमंत कुमार की
आवाज़ में है। राजेंद्र कृष्ण के लिखे गीत को स्वर से बाँधा है चितलकर
रामचंद्र ने। इस गीत को मैंने बहुत साल पहले सुना था। विडियो देखने
का सौभाग्य इसकी वी सी डी आने के बाद ही मिला। सुबह सुबह
बजाये जाने वाले गीतों की सूची में आप इसको शामिल कर सकते हैं।
गाने के बोल:
ज़मीन चल रही आसमान चल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चल रहा है
ये किसके इशारे जहाँ चाल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चल रहा है
ये किसके इशारे जहाँ चाल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चल रहा है
चली जा रही है ज़माने की नैय्या
चली जा रही है ज़माने की नैय्या
नज़र से ना देखा किसी ने खेवइया
नज़र से ना देखा किसी ने खेवइया
ना जाने ये चक्कर कहाँ चाल रहा है
ना जाने ये चक्कर कहाँ चाल रहा है
यह किसके इशारे जहाँ चाल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चाल रहा है
ये किसके इशारे जहाँ चाल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चाल रहा है
ये हंसना ये रोना ये आशा निराशा
हंसना ये रोना ये आशा निराशा
समझ में ना आए क्या है तमाशा
समझ में ना आए क्या है तमाशा
ये क्यूँ रात दिन कारवां चल रहा है
ये क्यूँ रात दिन कारवां चल रहा है
ये किसके इशारे जहाँ चल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चल रहा है
ये किसके इशारे जहाँ चाल रहा है
ज़मीन चल रही आसमान चल रहा है
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Zameen chal rahi-Pehli jhalak 1954
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