ए काश के हम- कभी हाँ कभी ना १९९३
सपने जरूर देखने चाहिए। जिसने भी कहा है सही कहा है।
सुनील आना से प्यार करता है और उसे जीवन साथी बनने के लिए
तरह तरह की तिकड़म भिडाता रहता है। आना सुनील के दोस्त से
प्यार करती है. इसी प्रयास में वो अपने दोस्त को बेवकूफ बनाके
आना को जहाज़ पर ले जाता है। आगे देखिये क्या होता है। मजरूह
की लेखनी की धार बरकरार है इस गाने में। इसको गाया है
कुमार सानु ने और धुन बनाई है जतिन पंडित, ललित पंडित की
जोड़ी ने। ये इस फ़िल्म का सबसे ज्यादा गुनगुनाया जाने वाला गीत है।
शाहरुख़ खान के साथ परदे पर सुचित्रा कृष्णामूर्ति हैं इस गाने में ।
गाने के बोल:
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
बस नगमें तेरे प्यार के, गाते ही जाएँ
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
खिलती, महकती ये जुल्फों की शाम
हँसते, खनकते, ये होंठों के जाम
खिलती, महकती ये जुल्फों की शाम
हँसते, खनकते, ये होंठों के जाम
आ झूम के साज़ उठाए,
बस नगमें तेरे प्यार के, गाते ही जाए
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
बस नगमें तेरे प्यार के, गाते ही जाएँ
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
हो बस, अगर तुम, हमारे सनम
हम तो, सितारों पे, रख दे कदम
हो बस, अगर तुम, हमारे सनम
हम तो, सितारों पे, रख दे कदम
सारा जहाँ भूल जाएँ
बस नगमें तेरे प्यार के, गाते ही जाएँ
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
बस नगमें तेरे प्यार के, गाते ही जाएँ
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
ए काश के हम होश में अब, आने ना पायें
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