Nov 1, 2009

लाली लाली डोलिया में -तीसरी कसम 1966

तीसरी कसम का ये गीत भारतीय संस्कृति का एक शुद्ध हिस्सा है।
नई पीढी को दिखने के लिए कुछ प्रतिनिधि गीतों की तरह। हमारे देश में
विभिन्न अवसरों पर गाये जाने वाले गीतों की जानकारी समय के साथ
गुल होती जा रही है। इधर कहानी ऐसी है कि एक नाचनेवाली को हीरामन
अपनी बैलगाडी में बिठा के ले जा रहा है। पीछे पीछे गाँव के बच्चे गाते हुए
दुल्हनिया की तारीफ़ में गाते जा रहे हैं। इस गीत में दुल्हन को दुआएं भी दी
जा रही हैं। आशा भोंसले और बच्चों का गाया ये गीत अनूठा और कर्णप्रिय
है । इस गीत में आपको शायद बुन्देलखंडी और भोजपुरी दोनों खुशबू आए।

ये गीत सेंट्रल रेलवे के दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर पढने वाले एक स्टेशन
-बीना के आसपास फिल्माया गया था। तीसरी कसम बनाते बनाते गीतकार
शैलेन्द्र को काफ़ी कड़वे अनुभव हुए। उनका जिक्र किसी और गीत की चर्चा
के समय।



गाने के बोल:

लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया
पिया की प्यारी भोली भाली रे दुल्हनिया
लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया
मीठे बैन, तीखे नैनों वाली रे दुल्हनिया

लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया
पिया की प्यारी भोली भाली रे दुल्हनिया

लौटेगी जो गोदी भर हमें न भुलाना
लड्डू पढे लाना अपने हाथों से खिलाना
लौटेगी जो गोदी भर हमें न भुलाना
लड्डू पढे लाना अपने हाथों से खिलाना
तेरी सब रातें हों दिवाली

लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया
पिया की प्यारी भोली भाली रे दुल्हनिया

दुल्हे राजा रखना जतन से दुल्हन को
कभी न दुखाना तू गोरिया के मॅन को
दुल्हे राजा रखना जतन से दुल्हन को
कभी न दुखाना तू गोरिया के मॅन को
नाज़ुक है, नाजों कि है पाली रे दुल्हनिया

लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया
पिया की प्यारी भोली भाली रे दुल्हनिया
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Laali laali doliya mein-Teesri kasam 1966

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