रूठ के तुम तो चल दिए-जलती निशानी १९५७
जब जनता लता मंगेशकर द्वारा मदन मोहन, नौशाद,
शंकर जयकिशन के लिए गाये गीतों पर बात कर चुकती है
तब उसको याद आती है संगीतकार अनिल बिश्वास की। ये क्रम है
नेट पर उपलब्ध विभिन्न संगीत फ़ोरम पर चर्चा का।
ये तो रही और जगह पर चर्चा की बात, हम इधर अपनी बात
चालू करें। एक गीत है फ़िल्म जलती निशानी से- रूठ के तुम तो चल दिए ।
इसका विडियो उपलब्ध नहीं है। ये गीत फिल्माया गया था अभिनेत्री
गीता बाली पर। शांत और गंभीर संगीत प्रेमियों को मालूम है इस गाने का
असर। सोते हुए को जगा सकता है ये गीत इस गीत का विडियो उपलब्ध
नहीं है यू ट्यूब पर। ये ऑडियो क्लिप है।
गाने के बोल:
रूठ के तुम तो चल दिए
अब मैं दुआ को क्या करुँ
रूठ के तुम तो चल दिए
अब मैं दुआ को क्या करुँ
जिसने हमें जुदा किया
ऐसे खुदा को क्या कहूं
रूठ के तुम तो चल दिए
जीने की आरजू नहीं
होना कुछ यार अगर
दर्द ही बन गया दावा
अब मैं दवा को क्या करुँ
रूठ के तुम तो चल दिए
सुन के मेरी सदा-ऐ-गम
रो दिया आसमान भी
सुन के मेरी सदा-ऐ-गम
रो दिया आसमान भी
तुम तक जो न पहुँच सके
ऐसी दवा को क्या करुँ
रूठे के तुम तो चल दिए
अब मैं दुआ को क्या करुँ
रूठे के तुम तो चल दिए
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