आ चल के तुझे-दूर गगन की छांव में १९६४
गीत लिखा, संगीत बनाया, गाया और खुद उसपर
अभिनय भी किया। किशोर कुमार का असली चेहरा दिखलाता
ये गीत उनके सबसे लोकप्रिय और मधुर गीतों में से एक है।
इस गीत पर बहुत चर्चा हो चुकी है इसलिए इतने ही विवरण
के साथ इस गीत का आनंद उठायें। उनके साथ जो बच्चा
आप देख्नेगे विडियो में वो उनका सुपुत्र है-अमित कुमार।
गीत के बोल:
आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
इक ऐसे गगन के तले
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो ...
जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आज़ाद गगन लहराए
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं
सपनो मे पली हँसती हो कली
जहाँ शाम सुहानी ढले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो ...
आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
इक ऐसे गगन के तले
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Aa chal ke tujhe-Door gagan ki chhaaon mein 1964
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