टूट गई है माला-हरिश्चंद्र तारामती १९६३
में अभिनय किय है। अपनी भारी और दबंग आवाज़ के चलते वो
किसी भी कथानक में फिट हो जाते थे। ये गीत हरिश्चंद्र तारामती
से लिया गया है जो सन १९६३ में आई थी। इसी नाम से २-३ फिल्में
और बन चुकी हैं। गीत लिखा और गाया है कविवर प्रदीप ने। अधिकतर
प्रेरणात्मक गीत उन्होंने स्वयं गाये हैं। संगीत है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
का जो उनकी शुरुआती फिल्मों में से एक है। फिल्म में संगीत सॉफ्ट
किस्म का है।
गाने के बोल:
टूट गई है माला
टूट गई है माला मोती बिखर चले
दो दिन रह कर साथ जाने किधर चले
टूट गई है माला
मिलन की दुनिया छोड़ चले ये आज बिरह में सपने
मिलन की दुनिया छोड़ चले ये आज बिरह में सपने
खोये-खोये नैनों में हैं उजड़े-उजड़े सपने
उजड़े-उजड़े सपने
व्याध की गठरी लिये झुकाये नज़र चले
दो दिन रह कर साथ जाने किधर चले
टूट गई है माला
अब तो ये जग में जियेंगे आँसू पीते-पीते
अब तो ये जग में जियेंगे आँसू पीते-पीते
जैसी इनपे बीती वैसी और किसी पे न बीते
और किसी पे न बीते
कोई मत पूछो इन्हें के ये किस डगर चले
दो दिन रह कर साथ जाने किधर चले
टूट गई है माला
मोती बिखर चले
दो दिन रह कर साथ जाने किधर चले
0 comments:
Post a Comment