मारे गए गुलफ़ाम- तीसरी कसम १९६६
से जुड़े होते हैं। गुलफ़ाम शब्द सबसे पहले सुना-"गुलफ़ाम को
मिल गई सब्ज़ परी" गाने से । उसके बाद एक गुलफ़ाम नाम का
शख्स भी मिला । हम सोचते थे इन्ही गुलफ़ाम साहब ने फ़िल्म
तीसरी कसम में काम किया है। इस गीत में वहीदा रहमान के
साथ जो किरदार स्टेज पर खड़े हैं उनका हिलना देख के ऐसा लगता
है जैसे किसी खिलौने की घड़ी के कल पुर्जे हों। इस गीत को शैलेन्द्र
ने लिखा है और धुन है शंकर जयकिशन की। गाँव-देहात की नौटंकी
वाला प्रभाव इस गाने में पैदा किया गया है ।
गाने के बोल:
मारे गए गुलफ़ाम
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
मारे गए गुलफ़ाम
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
उल्फत भी रास न आई
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
एक सब्ज़ परी देखी और दिल को गँवा बैठे
मस्ताना निगाहों पर फ़िर होश लुटा बैठे
मस्ताना निगाहों पर फ़िर होश लुटा बैठे
फ़िर होश लुटा बैठे
काहे को मैं मुस्कुरायी
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
मारे गए गुलफ़ाम
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
अब रूह की कटारी से नैनों की दुधारी से
वो हो के रहे ज़ख्मी एक बाद-ऐ-बाहरी से
वो हो के रहे ज़ख्मी एक बाद-ऐ-बाहरी से
एक बाद-ऐ-बाहरी से
ये जुल्फ क्यूँ लहरे
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
मारे गए गुलफ़ाम
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
इस प्यार की महफिल में वो आए मुकाबिल में
वो तीर चले दिल पर, हलचल सी हुई दिल में
वो तीर चले दिल पर, हलचल सी हुई दिल में
हलचल सी हुई दिल में
चाहत की सज़ा पाई
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
मारे गए गुलफ़ाम
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
उल्फत भी रास न आई
अजी हाँ,मारे गए गुलफ़ाम
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Maare gaye gulfaam-Teesri kasam 1966
Artist: Waheeda Rehman
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