हज़ार राहें मुड़ के देखीं-थोडी सी बेवफाई १९८०
थोड़ा सा गम, थोडी खुशी, थोडी वफ़ा, थोडी बेवफाई ये सब
पहलू हमें हिन्दी फिल्मों के माध्यम से जल्दी समझ में आए।
फ़िल्म थोडी सी बेवफाई का शीर्षक गीत पेश है जो लता और
किशोर का गाया हुआ है। इसके बोल लिखे हैं गुलज़ार ने और
धुन बनाई है खय्याम ने। अपने समय का लोकप्रिय गीत है ये
इसको फिल्माया गया है राजेश खन्ना और शबाना आज़मी पर।
इसमे भी गुलज़ार ने शब्दों के साथ खूबसूरत खिलवाड़ किया है।
मसलन-"वो मोड़ अब भी वहीँ खड़े हैं"
गाने के बोल:
हज़ार राहें, मुड़ के देखीं
कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफ़ा से, निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
जहाँ से तुम मोड़ मुड़ गये थे
जहाँ से तुम मोड़ मुड़ गये थे
वो मोड़ अब भी वही खड़े हैं
हम अपने पैरों में जाने कितने
हम अपने पैरों में जाने कितने
भंवर लपेटे हुए खड़े हैं
बड़ी वफ़ा से, निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
कहीं किसी रोज़ यूं भी होता
हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रातें हमने गुज़ारी मरके
वो रात तुमने गुज़ारी होतीं
बड़ी वफ़ा से, निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
उन्हें ये ज़िद थी के हम बुलाते
हमें ये उम्मीद वो पुकारें
है नाम होंठों में अब भी लेकिन
आवाज़ में पड़ गई दरारें
हज़ार राहें, मुड़के देखीं
कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफ़ा से, निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
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