बाज़ी किसी ने प्यार की-नजराना १९६१
नजराना फ़िल्म का ही एक और गीत पेश है। ये भी राज कपूर
पर फिल्माया गया है मगर गायक कलाकार रफ़ी हैं। ये थोड़ा
गीत थोड़ा ज्यादा चला दूसरे गीतों की अपेक्षा। राज कपूर की
यही कोशिश रहती की मुकेश की आवाज़ ही उनके गानों के लिए
संगीतकार द्वारा इस्तेमाल की जाए। संगीतकार रवि का सोचना
कुछ और था और उन्होंने फ़िल्म में २ गीत रफ़ी द्वारा गवाए।
इन सब प्रयासों के बावजूद आम आदमी राज कपूर को मुकेश की
आवाज़ के साथ जोड़ कर ही देखता है।
गीत के बोल:
एक प्यासा तुझे मयखाना दिए जाता है
जाते जाते भी ये नजराना दिए जाता है
बाज़ी किसीने प्यार की, जीती या हार दी
बाज़ी किसीने प्यार की, जीती या हार दी
जैसे गुज़र सकी, ये शब्-ऐ-गम गुज़ार दी
बाज़ी किसीने प्यार की, जीती या हार दी
साहिल करेगा याद उसी नामुराद को
साहिल करेगा याद उसी नामुराद को, हाय
कश्ती खुशी से जिस ने भंवर में उतार दी
जैसे गुज़र सकी ये शब्-ऐ-गम गुज़ार दी
बाज़ी किसीने प्यार की जीती या हार दी
जब चल पड़े सफर को तो क्या , मुड़ के क्या देखना
जब चल पड़े सफर को तो क्या , मुड़ के क्या देखना, हाय
दुनिया का क्या है, उसने सदा बार-बार दी
जैसे गुज़र सकी, ये शब्-ऐ-गम गुज़ार दी
बाज़ी किसीने प्यार की जीती या हार दी
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