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Jan 27, 2016

देखिये तो क्या अजीब हाल है-कल आज और कल १९७१

मन्ना डे का गाया एक गीत सुनते हैं फिल्म कल आज और कल
से. इसमें उनका गाया केवल यही गीत है. राज कपूर के लिए
संगीतकार मुकेश की आवाज़ लिया करते थे. ये गीत संगीतकार
ने मन्ना से गवाया. शंकर जयकिशन ने मन्ना की आवाज़ के
गीत राज कपूर के लिए और भी बनाये-चोरी चोरी आपको याद
होगी जिसमें तीन युगल गीत हैं मन्ना-लता के. उसके अलावा
फिल्म मेरा नाम जोकर में मन्ना डे के दो एकल गीत हैं.

रणधीर कपूर ने इस फिल्म को बनाया था और इसमें उनके पिता
और दादा भी मौजूद हैं. नीरज ने गीत लिखा है और कुछ कुछ
दर्शंनवादी सा जान पड़ता है यह.




देखिये तो क्या अजीब हाल है
सोचिये तो क्या अजीब बात है
एक पाँव चल रहा अलग अलग
दूसरा किसी के साथ है
देखिये तो क्या अजीब हाल है
सोचिये तो क्या अजीब बात है
एक पाँव चल रहा अलग अलग
दूसरा किसी के साथ है
देखिये तो क्या अजीब हाल है

एक डाल इस कदर फूली फली
एक एक पात फूल बन गया
एक डाल इस कदर फूली फली
एक एक पात फूल बन गया
एक डाल मगर इस कदर लुटी
एक एक फूल झड गया
आज और कल की धूप छाँव में
इसलिए समय के सूने गाँव में
एक पाँव चल रहा अलग अलग
दूसरा किसी के साथ है
देखिये तो क्या अजीब हाल है

एक हवा चली के खिल उठा चमन
एक हवा चली के सब उजड गया
एक कदम उठा के राह मिल गयी
एक कदम उठा के पथ बिछड गया
एक हवा चली के खिल उठा चमन
एक हवा चली के सब उजड गया
एक कदम उठा के राह मिल गयी
एक कदम उठा के पथ बिछड गया
इसलिए दिलों की जीत हार में इसलिए
इसलिए किसी के प्यार में
एक पाँव चल रहा अलग अलग
दूसरा किसी के साथ है
देखिये तो क्या अजीब हाल है
सोचिये तो क्या अजीब बात है
एक पाँव चल रहा अलग अलग
दूसरा किसी के साथ है
देखिये तो क्या अजीब हाल है
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Dekhiye to kya ajeeb haal hai-kal aaj aur kal 1971

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Jan 8, 2016

निगाहें मिलाने को जी चाहता है-दिल ही तो है १९६३

एक नई फिल्म का नाम है-दिल तो बच्चा है जी. इस फिल्म का
नाम आते ही एक पुरानी फिल्म-दिल ही तो है याद आ जाती है.
किस चीज़ का कनेक्शन कहाँ जुड जाए कहा नहीं जा सकता. रोज
कुछ नए सिलसिले शुरू होते हैं, नए कथानक बनते हैं, नए सफर
तय होते हैं.

आइये आज सुनें अपने ज़माने की मशहूर कव्वाली जो सन १९६३
से निरंतर आनंदित करती चली आ रही है. इसे आप टाइमलेस
कह सकते हैं, क्यूंकि ये हर दशक में आनंदित करती आई है. ये
कव्वाली है या गीत, जो भी हो, बढ़िया सामान है सुनने के लिए.
आशा भोंसले के गाये उम्दा गीतों में इसकी गिनती की जाती है.
साहिर लुधियानवी साहब ने इसे तबियत से लिखा और उतनी ही
बढ़िया तबियत से इसकी धुन बनाई रोशन ने. राज कपूर और
नूतन इस फिल्म में प्रमुख कलाकार हैं.




गीत के बोल:

राज की बात है महफिल में  कहें या ना कहें
बस गया है कोई इस दिल में  कहें या ना कहें

निगाहें मिलाने को जी चाहता है
दिल-ओ-जां लुटाने को जी चाहता है

वो तोहमत जिसे इश्क कहती है दुनियाँ
वो तोहमत उठाने को जी चाहता है

किसी के मनाने में लज्जत वो पाई
के फिर रूठ जाने को जी चाहता है

वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी
वो जलवा चुराने को जी चाहता है

जिस घड़ी मेरी निगाहों को तेरी दीद हुई
वो घड़ी मेरे लिए ऐश की तमहीद हुई
जब कभी मैंने तेरा चाँद सा चेहरा देखा
ईद हो या के ना हो, मेरे लिए ईद हुई
वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी
वो जलवा चुराने को जी चाहता है

मुलाक़ात का कोई पैगाम दीजे के
छुप-छुप के आने को जी चाहता है
और आ के न जाने को जी चाहता है
निगाहें मिलाने को जी चाहता है
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Nigahen milane ko jee chahta hai-DIl hi to hai 1963

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Sep 21, 2015

जिस प्यार में ये हाल हो-फिर सुबह होगी १९५८

साहिर लुधियानवी के लिखे हुए ६६ गीत अभी तक आपको
सुनवा चुके हैं इस ब्लॉग पर. सन १९५८ की एक फिल्म है
फिर सुबह होगी. काफी रिवोल्युशनरी किस्म के गीत हैं इस
फिल्म के. धुनें भी दमदार बनायीं हैं खय्याम ने. कुल मिला
के ज्यादा पैसे वसूल वाले गीत हैं. प्रस्तुत गीत भी एक प्रकार
से आशिकों और यारों पर कहीं मखमल कहीं बिना मखमल
के दे-दना-दन देता सा प्रतीत होता है. सिकंदर और कबूतर
का अच्छा एग-जाम-फल दिया गया है गीत में.

यार तीन तरीके से ज्यादा बोर कर सकते हैं-चुटकुले सुना के,
गीत शेर-शायरी सुना के या अपनी कहानी सुना के. उसके
अलावा बोर करने के बहुत से सामान मौजूद हैं.

गौरतलब है फिल्म त्रिशूल का गीत-मोहब्बत बड़े काम की चीज़
है भी साहिर का लिखा हुआ है. संयोग से उस फिल्म का संगीत
भी खैय्याम ने तैयार किया है. मेरा अनुमान है अगर साहिर के
साथ खैय्याम की जुगलबंदी लगातार चली होती तो हमें कुछ
और अनमोल और नायब किस्म के रत्न मिल जाते सुनने के
लिए.  गीत मुकेश संग मोहम्मद रफ़ी ने गाया है. गीत इन
कलाकारों पर फिल्माया गया है -राज कपूर, माला सिन्हा और
रहमान.

चलते चलते वही सैकड़ों बार सुना हुआ जुमला दोहरा देते हैं
आपके लिए, साहिर का है अंदाज़-ए-बयां और.................



गीत के बोल:

फिरते थे जो बड़े ही सिकंदर बने हुये
बैठे हैं उनके दर पे कबूतर बने हुये
जिस प्यार में ये हाल हो उस प्यार से तौबा
तौबा, उस प्यार से तौबा
जो बोर करे यार को उस यार से तौबा
तौबा, उस यार से तौबा

हमने भी ये सोचा था कभी प्यार करेंगे
छुप-छुप के किसी शोख हसीना पे मरेंगे
देखा जो अज़ीज़ों को मुहब्बत में तड़पते
दिल कहने लगा, हम तो मुहब्बत से डरेंगे
इन नरगिसी आँखों के छुपे वार से तौबा
जो बोर करे यार को उस यार से तौबा
तौबा, उस यार से तौबा
जिस प्यार में ये हाल हो उस प्यार से तौबा
तौबा, उस प्यार से तौबा


तुम जैसों की नज़रें न हसीनों से लड़ेंगीं
ग़र लड़ भी गईं, अपने ही क़दमों पे गड़ेंगीं
भूले से किसी शोख पे दिल फ़ेंक न देना
झड़ जायेंगे सब बाल वो बेभाव पड़ेंगीं
तुम जैसों को जो पड़ती है
उस मार से तौबा, तौबा उस मार से तौबा
जिस प्यार में ये हाल हो उस प्यार से तौबा

दिल जिनका जवाँ है वो सदा इश्क़ करेंगे
जो इश्क़ करेंगे वो सदा, हाय आह भरेंगे
जो दूर से देखेंगे, वो जल-जल के मरेंगे
जल-जल के मरेंगे तो कोई फ़िक्र नहीं है
माशूक़ के क़दमों पे मगर सर न धरेंगे
सरकार से तौबा, मेरी, सरकार से तौबा
जिस प्यार में ये हाल हो उस प्यार से तौबा
तौबा, उस प्यार से तौबा
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Jis pyar mein ye haal ho-Phir Subah Hogi 1958

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Aug 4, 2011

सुनते थे नाम हम-आह १९५३

सन १९५३ की फिल्म आह के लिए शंकर जयकिशन ने
एक से बढ़कर एक धुनें बनायीं। फिल्म का दर्द भरा गीत
हो या मस्ती भरा, हर गीत सुनने में अच्छा लगता है।
फिल्म से एक थोडा तेज गति वाला गीत सुनवाते हैं
लता मंगेशकर की आवाज़ में। गीत फिल्माया गया है
विजय लक्ष्मी पर जो एक पार्टी में ये गीत गा रही हैं।






गीत के बोल:



सुनते थे नाम हम जिन का बहार से
देखा तो डोला जिया झूम झूम के
सुनते थे नाम हम जिन का बहार से
देखा तो डोला जिया झूम झूम के

छुपते रहे जो मेरी नज़र से
दिल बोले मेरा तुम ही तो हो
आँखों से रंग मेरे दिल के उमंग पे
डाला तो डोला जिया झूम झूम के

सुनते थे नाम हम जिन का बहार से
देखा तो डोला जिया झूम झूम के

ठुकरा चुके थे जिन की मुहब्बत
क्यों उन पे दीवाने हुए
तड़पा के प्यार ने जब हम को प्यार से
छेड़ा तो बोला जिया झूम झूम के

सुनते थे नाम हम जिन का बहार से
देखा तो डोला जिया झूम झूम के

पहले कहीं ये दिल न झुका था
क्या जानूँ अब क्या हो गया
जाओ न आज कल तुम हम को छोड़ के
अपना तो डोला जिया झूम झूम के

सुनते थे नाम हम जिन का बहार से
देखा तो डोला जिया झूम झूम के
...................................
Sunte the naam ham-Aah 1953

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Aug 3, 2011

जाने न नज़र पहचाने जिगर-आह १९५३

भीगने के बाद कपडे उतार कर ड्रम में बैठ कर मधुर गीत कैसे गाया जाए
राज कपूर सिखा रहे हैं फिल्म आह के इस गीत में। उनके साथ नर्गिस की
जोड़ी है. लता और मुकेश की आवाज़ में ये सदाबहार युगल गीत सुनिए।
इसे भी हसरत जयपुरी ने लिखा है और धुन बनायीं है शंकर जयकिशन ने।
फिल्म बरसात के साथ १९४९ में शुरू हुयी शैलेन्द्र, हसरत, शंकर जयकिशन
की चौकड़ी की संगीतमय धमा-चौकड़ी ने काफी समय तक हिंदी फिल्म संगीत
जगत में अपना डंका बजाया ।




गीत के बोल:

जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया

आवाज़ ये किसकी आती है
जो छेड़ के दिल को जाती है
आवाज़ ये किसकी आती है
जो छेड़ के दिल को जाती है
मैं सुन के जिसे शर्मा जाऊँ
है कौन जो दिल में समाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया

जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया

ढूँढेंगे उसे हम तारों में
सावन की ठण्डी बहारों में
ढूँढेंगे उसे हम तारों में
सावन की ठण्डी बहारों में
पर हम भी किसी से कम तो नहीं
क्यों रूप को अपने छुपाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया

बिन देखे जिसको प्यार करूँ
गर देखूँ उस को जान भी दूँ
बिन देखे जिसको प्यार करूँ
गर देखूँ उस को जान भी दूँ
एक बार कहो ओ जादूगर
ये कौन सा खेल रचाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
..................................
Jaane na nazar-Aah 1953

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बिछड़े हुए परदेसी-बरसात १९४९

परदेसी हिट्स में सबसे पुराना हिट गीत कह सकती है आज की पीढ़ी
इसे। वैसे इससे पहले भी हिंदी फिल्मों में परदेसी गीत(जिनमें परदेसी
शब्द का प्रयोग हुआ है) बने हैं। इस गीत ने सफलता के नए कीर्तिमान
रचे। लता मंगेशकर की आवाज़ है, नर्गिस का अभिनय है, हसरत जयपुरी
के बोल और शंकर जयकिशन का संगीत है।




गीत के बोल:

बिछड़े हुए परदेसी
बिछड़े हुए परदेसी इक बार तो आना तू
जब आँख मिलाई है नज़रें न चुराना तू
बिछड़े हुए परदेसी

वादे भी किए तूने खाई थी क़सम मेरी
वादे भी किए तूने खाई थी क़सम मेरी
वादों पे ही जीती हूँ है आस मुझे तेरी
वादों पे ही जीती हूँ है आस मुझे तेरी
इतनी है अरज मेरी
इतनी है अरज मेरी मुझको न भुलाना तू
जब आँख मिलाई है नज़रें न चुराना तू

बिछड़े हुए परदेसी

दुनिया मुझे छीने है सबने मुझे घेरा है
दुनिया मुझे छीने है सबने मुझे घेरा है
और मेरी ज़ुबाँ पर तो बस नाम ही तेरा है
और मेरी ज़ुबाँ पर तो बस नाम ही तेरा है
दुनिया न हँसे मुझ पर
दुनिया न हँसे मुझ परइतना न रुलाना तू
जब आँख मिलाई है नज़रें न चुराना तू

बिछड़े हुए परदेसी

गैरों का न हो जाना जब अपना बनाया है
गैरों का न हो जाना जब अपना बनाया है
पास आ के न खो जाना जब दिल में बसाया है
पास आ के न खो जाना जब दिल में बसाया है
जो बात कही तूने
जो बात कही तूने वो बात निभाना तू
जब आँख मिलाई है नज़रें न चुराना तू

बिछड़े हुए परदेसी
........................................
Bichhde hue pardesi-Barsaat 1949

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Jul 11, 2011

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे-आह १९५३

गायक - मुकेश
गीतकार-शैलेन्द्र
संगीतकार -शंकर जयकिशन
फिल्म -आह
वर्ष-१९५३
श्रेणी-तांगा गीत

* परदे पर तांगे में गायक मुकेश स्वयं हैं.



गीत के बोल:

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे
चार दिन की जवानी तेरी
हाय रे हाय
ग़म की कहानी तेरी

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे
चार दिन की जवानी तेरी
हाय रे हाय
ग़म की कहानी तेरी

शाम हुई ये देश बीराना
तुझ को अपने बलम घर जाना,
सजन घर जाना
शाम हुई ये देश बीराना
तुझ को अपने बलम घर जाना,
सजन घर जाना
राह में मूरख मत लुट जाना,
मत लुट जाना

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे
चार दिन की जवानी तेरी
हाय रे हाय
ग़म की कहानी तेरी

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे
चार दिन की जवानी तेरी
हाय रे हाय
ग़म की कहानी तेरी

बाबुल का घर छूटा जाये
अखियन घोर अँधेरा छाये,
जी दिल घबराये
आँख से टपके दिल का खज़ाना
दिल का खज़ाना

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे
चार दिन की जवानी तेरी
हाय रे हाय
ग़म की कहानी तेरी

छोटी सी ये ज़िंदगानी रे
चार दिन की जवानी तेरी
हाय रे हाय
ग़म की कहानी तेरी
...............................
Chhoti si ye zindagani-Aah 1953

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Jul 1, 2011

अब मेरा कौन सहारा-बरसात १९४९

नर्गिस और राजकपूर की जोड़ी की ये तीसरी फिल्म थी। इसमें
राज कपूर के साले साहब-प्रेमनाथ भी हैं उनके साथ। बरसात
फिल्म ने फिल्म सिनेमा को नए समीकरण दिखाए तो कुछ
समीकरण बदले भी। बदलते युगों के युग्म पर कुछ घटनाएँ
होती हैं कुछ वैसी ही यह फिल्म है जिसे हम ५० के दशक में
हिंदी सिनेमा में होने वाले बदलाव का बिगुल जैसा कह सकते हैं।
ऐसी उस दौर की कुछ और प्रतिनिधि फ़िल्में भी हैं जिनपर चर्चा
आगे उन फिल्मों के गीतों की प्रस्तुति के समय हम करेंगे ।

फ़िल्म बरसात से तीसरा गीत पेश है। नर्गिस के ऊपर फिल्माया
गया अधिक कर्णप्रिय गीत सन १९४९ से सुनने वालों को आनंद दे
रहा है। एक दर्द भरा गीत जिसका फिल्मांकन भी बढ़िया है आपको
अंत तक बांधे रखेगा । ऐसे गीतों में किसी रंग की आवश्यकता नहीं
होती, ये तो श्वेत श्याम में भी ऐसा कमाल दिखाते हैं कि देखने वाला
भूल जाता है कि वो श्वेत श्याम फिल्म देख रहा है या रंगीन।

हुस्नलाल भगतराम के संगीत की जो ध्वनियाँ हैं वैसी ही साजों की
आवाजें इस गीत में भी हैं मगर थोड़ी तेज़ गति में ।



गीत के बोल:

अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा
मेरे बलम
मेरे बलम मुझको ना भुलाना
अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा

तुझसे बिछड़ कर दूर हुई
मिलने से मजबूर हुई
तुझसे बिछड़ कर दूर हुई
मिलने से मजबूर हुई
रो-रो के दिल ने तुझको पुकारा

अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा

तुझसे मिलन की आस लगी
नैना रस की प्यास लगी
नैना रस्ते
मुझको है तेरा गम भी न्यारा

अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा

पंख लगे उड़ जाऊं मैं
लेकिन कैसे आऊँ मैं
पंख लगे उड़ जाऊं मैं
लेकिन कैसे आऊँ मैं
बेबस हुयी किस्मत ने मारा

अब मेरा कौन सहारा
अब मेरा कौन सहारा
..............................
Ab mera kaun sahara-Barsaat 1949

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Jun 9, 2011

दिल की नज़र से-अनाड़ी १९५८

ब्लॉग पर नज़र दौडाई तो फिल्म अनाड़ी का एक भी गीत नहीं
दिखा। आज सड़क पर चलते चलते मुझे ये गीत कहीं सुनाई
दिया। सदाबहार युगल गीत जो फिल्माया गया है नूतन और
राज कपूर पर। राज कपूर की फिल्मों में नायिकाओं के रोल
दूसरे निर्देशकों की फिल्मों की तुलना में ज्यादा लम्बे होते। ये
फिल्म हृषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी थी, हो सकता है
की कहानी की मांग और राज कपूर के आग्रह पर नायिका और
चरित्र भूमिका में ललिता पवार की भूमिकाएं बढ़ा दी गई हों।

वैसे इस मामले में श्वेत श्याम का युग रंगीन युग से कहीं बेहतर
था। नारी की छबि और उसके चरित्र परदे पर ज्यादा सशक्त
हुआ करते थे। ये मैं अपनी देखी हुई फिल्मों और अपने अनुभवों
के आधार पर अनुमान लगा रहा हूँ, हो सकता है आपके विचार
मुझसे अलग हों। जो भी हो, नूतन इस फिल्म में भी अपनी
गरिमामयी उपस्थिति से सबको प्रभावित कर गयीं। ये कुछ
अजीब तथ्य है कि आम जनता को राज कपूर की फिल्मों में
नायक नज़र आता और मुझे उन फिल्मों की नायिकाएं।
राज कपूर की फिल्मों की नायिकाओं ने मुझे ज्यादा प्रभावित
किया, अभिनय के मामले में।

गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ है और शंकर जयकिशन की धुन पर
इसे गाया है मुकेश और लता मंगेशकर ने।





गीत के बोल:

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे

धीरे से उठकर, होठों पे आया
ये गीता कैसा, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे
दिल की नज़र से

क्यों बेखबर, यूँ खिंची सी चली जा रही मैं
ये कौनसे बन्धनों में बंधी जा रही मैं
क्यों बेखबर, यूँ खिंची सी चली जा रही मैं
ये कौनसे बन्धनों में बंधी जा रही मैं
कुछ खो रहा है, कुछ मिल रहा है
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे
दिल की नज़र से

हम खो चले, चाँद है या कोई जादूगर है
या, मदभरी, ये तुम्हारी नज़र का असर है
हम खो चले, चाँद है या कोई जादूगर है
या, मदभरी, ये तुम्हारी नज़र का असर है
सब कुछ हमारा, अब है तुम्हारा
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे,
दिल की नज़र से

आकाश में, हो रहें हैं ये कैसे इशारे
क्या, देखकर, आज हैं इतने खुश चाँद-तारे
आकाश में, हो रहें हैं ये कैसे इशारे
क्या, देखकर, आज हैं इतने खुश चाँद-तारे
क्यों तुम पराये, दिल में समाये
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे

धीरे से उठकर, होठों पे आया
ये गीता कैसा, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे
दिल की नज़र से
.....................................
Dil ki nazar se-Anadi 1958

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May 27, 2011

ओ शमा मुझे फूँक दे-आशिक १९६२

फिल्म आशिक(१९६२) के ३ मधुर गीत आपको सुनवा चुके हैं-
लता का गाया एक गीत झनन झनझना के अपनी पायल,
मुकेश के गाये दो गीत - ये तो कहो कौन हो तुम, और
तुम जो हमारे मीत ना होते । हर एक गीत इस फिल्म का
नायाब है। आइये अब चौथा गीत सुना जाये जो कि एक
युगल गीत है मुकेश और लता की आवाज़ में। इसे लिखा
है शैलेन्द्र ने और अलबेले बैले नृत्य जैसे कुछ-कुछ मसाले
पर नाचने वाले कलाकारों के नाम अगर आपको मालूम हो
तो बतलाएं। गौरतलब है फिल्म की नायिका पद्मिनी आपको
नाचती दिखाई दे जाएँगी भीड़ के बीच में। खुशनुमा अंदाज़
से गीत दर्दीला गीत बन जाता है। पुराने ओर्केस्ट्रा कार्यक्रमों
में इस गीत को कई बार सुना है। गाने का ध्वनि संयोजन ही
ऐसा है कि ओर्केस्ट्रा वाले इसको अपने कार्यक्रमों में शामिल
करना पसंद करते।




गीत के बोल:

ओ शमा मुझे फूंक दे
मैं न मैं रहूँ, तू न तू रहे
यही इश्क़ का है दस्तूर
यही इश्क़ का है दस्तूर
परवाने जा है अजब चलन
यहाँ जीते जी अपना मिलन
क़िस्मत को नहीं मंजूर
क़िस्मत को नहीं मंजूर

शाम से लेकर रोज़ सहर तक
तेरे लिए मैं सारी रात जली
मैने तो हाय ये भी न जाना
कब दिन डूबा कब रात ढली
फिर भी हैं मिलने से मजबूर
फिर भी हैं मिलने से मजबूर

ओ शमा मुझे फूंक दे
मैं न मैं रहूँ, तू न तू रहे
यही इश्क़ का है दस्तूर
यही इश्क़ का है दस्तूर

पत्थर दिल हैं ये जगवाले
जाने न कोई मेरे दिल की जलन
पत्थर दिल हैं ये जगवाले
जाने न कोई मेरे दिल की जलन
जब से है जनमी प्यार की दुनिया
तुझको है मेरी मुझे तेरी लगन
तुम बिन ये दुनिया है बेनूर
तुम बिन ये दुनिया है बेनूर

परवाने जा है अजब चलन
यहाँ जीते जी अपना मिलन
क़िस्मत को नहीं मंजूर
क़िस्मत को नहीं मंजूर


हाय री क़िस्मत अंधी क़िस्मत
देख सकी ना तेरी-मेरी ख़ुशी
हाय री उल्फ़त बेबस उल्फ़त
रो के थकी जल-जल के मरी
दिल जो मिले किसका था क़सूर
दिल जो मिले किसका था क़सूर

ओ शमा मुझे फूंक दे
मैं न मैं रहूँ, तू न तू रहे
यही इश्क़ का है दस्तूर
यही इश्क़ का है दस्तूर
परवाने जा है अजब चलन
यहाँ जीते जी अपना मिलन
क़िस्मत को नहीं मंजूर
क़िस्मत को नहीं मंजूर
...................................
O shama mujhe phoonk de-Aashiq 1962

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May 21, 2011

ख्यालों में किसी के इस तरह-बावरे नैन १९५०

अजीब इत्तेफाक है। बीच रोड पर ट्राफिक के सर्कस के बीच आपको
अगर फिल्म बावरे नैन का ये गीत याद आ जाये तो क्या कीजियेगा ?
अजी बस गुनगुना लग जाइये और क्या। बीच में आड़े टेड़े चलने वालों
के चरित्रों का उल्लेख करके जुबान ख़राब करने के बजाये गीत जोर जोर
से गाने लग जाइये। आज हमने भी यही किया और गाने ने होर्न का काम
किया। बात फिर भी समझ नहीं आई-ऐसा क्यूँ होता है-उलझन में
दिमाग हो और कोई गीत अपने आप दिमाग में कौंध जाये। हम भी
गीत बनाने वालों से यही पूछ लेते हैं-"ख्यालों में किसी के इस तरह
आया नहीं करते" । केदार शर्मा के लिखे गीत की धुन बनाई है रोशन
ने। गीत गा रहे हैं गीता दत्त और मुकेश। राज कपूर के साथ परदे
पर शायद विजय लक्ष्मी नामक अभिनेत्री हैं।



गीत के बोल:

ख़यालों में किसी के, इस तरह आया नहीं करते
किसी को बेवफ़ा आ आ के तड़पाया नहीं करते
ख़यालों में किसी के, इस तरह आया नहीं करते
किसी को बेवफ़ा आ आ के तड़पाया नहीं करते

दिलों को रौंद कर दिल अपना बहलाया नहीं करते
जो ठुकराए गए हों उनको ठुकराया नहीं करते
दिलों को रौंद कर

हँसी फूलों की दो दिन चाँदनी भी चार दिन की है
चाँदनी चार दिन की है
हँसी फूलों की दो दिन चाँदनी भी चार दिन की है
चाँदनी चार दिन की है
मिली हो चाँद सी सूरत तो इतराया नहीं करते
किसी को बेवफ़ा आ आ के तड़पाया नहीं करते

ख़यालों में किसी के

जिन्हें मिटना हो वो मिटने से डर जाया नहीं करते
वो डर जाया नहीं करते
जिन्हें मिटना हो वो मिटने से डर जाया नहीं करते
वो डर जाया नहीं करते
मुहब्बत करने वाले ग़म से घबराया नहीं करते
किसी को बेवफ़ा आ आ के तड़पाया नहीं करते

ख़यालों में किसी के

मुहब्बत का सबक सीखो, ये जाकर जलने वालों से
ये जाकर जलने वालों से
मुहब्बत का सबक सीखो, ये जाकर जलने वालों से
ये जाकर जलने वालों से
के दिल की बात भी लब तक कभी लाया नहीं करते
जो ठुकराए गए हों उनको ठुकराया नहीं करते

ख़यालों में किसी के, इस तरह आया नहीं करते
किसी को बेवफ़ा आ आ के तड़पाया नहीं करते

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Khayalon mein kisi ke-Baawre Nain 1950

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Jan 23, 2011

अल्लाह मेरी तौबा-दो जासूस १९७५

अरुणा ईरानी ने भी अपने जलवे खूब बिखेरे हिंदी फिल्मों में।
नृत्य कला में निपुण अरुणा पर फिल्माया गया एक गीत देखते
हैं फिल्म दो जासूस से। सन १९७५ की फिल्म दो जासूस में कुछ
अच्छे गीत हैं और काफी बजे हैं। गीत आशा भोंसले का गाया
हुआ है और जैसा की अधिकतर रवीन्द्र जैन के संगीत से सजी
फिल्मों में होता है-गीत भी उन्हीं का लिखा हुआ है। गीत में आपको
दो जासूसों की भूमिका में राज कपूर और राजेंद्र कुमार दिखाई देंगे
जो फिलहाल इस गीत में दर्शक बने हुए हैं। हर अंतरे के बाद नर्तकी
अपने वस्त्र बदल लेती है।



गीत के बोल:

अल्लाह मेरी तौबा निगाहें ना मिलूंगी
अल्लाह मेरी तौबा मैं तीर नहीं खाऊँगी
निगाहें ना मिलूंगी, मैं तीर नहीं खाऊँगी
अल्लाह मेरी तौबा निगाहें ना मिलूंगी
अल्लाह मेरी तौबा मैं तीर नहीं खाऊँगी

मैं जो नहाने गई नदिया किनारे
मैं जो नहाने गई नदिया किनारे
आ गए लोग वहां गाँव के सारे
आ गए लोग वहां सारे के सारे
तौबा मेरी तौबा
तौबा मेरी तौबा नदी पे नहीं जाऊंगी
तौबा मेरी तौबा नदी पे नहीं जाऊंगी
नदी पे नहीं जाऊंगी मैं घर पे नहऊंगी

अल्लाह मेरी तौबा निगाहें ना मिलूंगी

बीच बाज़ार हल्वैये ने छेड़ा
है दिया
बीच बाज़ार हल्वैये ने छेड़ा
देने लगा हाय मुझे मथुरा का पैदा
देने लगा वो तो मुझे मथुरा का पेढा
तौबा मेरी तौबा
तौबा मेरी तौबा बाज़ार नहीं जाऊंगी
तौबा मेरी तौबा बाज़ार नहीं जाऊंगी
बाज़ार नहीं जाऊंगी मैं पेढा नहीं खाऊँगी

अल्लाह मेरी तौबा निगाहें ना मिलाऊँगी

बाली उम्र में जो हो गई शादी
हाय मोरी, बाली उम्र में जो हो गई शादी
कैसे कैसे सैयां ने मुझे उल्फत सिखा दी
कैसे मोहे रसिया ने उल्फत सिखा दी
तौबा तौबा तौबा
तौबा मेरी तौबा वो बात ना बताऊंगी
तौबा मेरी तौबा वो बात ना बताऊंगी
बात ना बताऊंगी शर्म से मर जाऊंगी
मैं पानी हो जाऊंगी
जी आज ना बताऊंगी
मैं कल फिर आऊंगी

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Dec 4, 2010

मेरी आँखों में बस गया कोई रे-बरसात १९४९

पहाड़ी पर ही घूमा जाए थोड़ी देर। फिल्म बरसात में बहुत
सी पहाड़ियां दिखाई देती हैं। अगला गीत जो आपको सुनवाया
जा रहा है वो भी राग पहाड़ी पर आधारित है. इस गीत को भी
लता मंगेशकर ने गाया है। शंकर जयकिशन की बतौर स्वतंत्र
संगीत निर्देशक पहली फिल्म में मधुर गीतों की ओवरलोडिंग
थी। ऐसा लगा मानो बहुत दिन से वे ढेर सारे मधुर गीत सुनाने
के लिए बेताब थे। सारी कसर उन्होंने फिल्म बरसात में निकाल
ली। उन दिनों वैसे भी एक फिल्म में ढेर सारे गीत हुआ करते थे,
इसलिए सब चल गया और ऐसा चला कि आज तक पब्लिक उसके
जादू से मुक्त नहीं हुई है। बरसात ने संगीत-वाणिज्य के क्षेत्र में धन
की बहुत अच्छी बरसात की। गीत का फिल्मांकन आला दर्जे का है
और चकित करने वाला है। गीत में आपको विलंबित और द्रुत दोनों
गत का आनंद मिलेगा।



गीत के बोल:

मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ

मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई

मुस्काये जब रात की बिंदिया, हो ओ ओ
मुस्काये जब रात की बिंदिया
उड़ जाये आँखों से निंदिया
उड़ जाये आँखों से निंदिया
ठंडी ठंडी मैं आहें भरूँ
ठंडी ठंडी मैं आहें भरूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ

मेरी आँखों में बस गया कोई

बात करें जब चाँद सितारे
बात करें जब चाँद सितारे
जल बरसायें नैन हमारे
जल बरसायें नैन हमारे
तेरी याद में रो रो मरूँ
तेरी याद में रो रो मरूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ

मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई

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Nov 19, 2010

तुम जो हमारे मीत ना होते-आशिक १९६२

लौट के बुद्धू घर को आये। ३-४ नयी फिल्मों के गीत सुन लेने के
बाद बाद फिर से काले-सफ़ेद वाले ज़माने के गीत सुनने का मन
करने लगता है। वो क्या है ३-४ टाइम नूडल्स और आलू-टिक्की
खाने के बाद पेट कुछ अजीब सा होने लगता है और पाचक चूर्ण
खाने की इच्छा होती है। पुराने गीत कुछ कुछ पाचक चूर्ण का काम
भी करते हैं।

ये गीत भी ऐसा ही है कुछ कुछ। इसको मैं सुनता हूँ जब मन में
बहुत उथल पुथल हो जाती है। मुकेश की दर्दीली-भारी आवाज़
मरहम का काम कर जाती है।

फिल्म आशिक(१९६२) में इस गीत को परदे पर गा रहे हैं
शो-मेन मन राज कपूर। शैलेन्द्र के लिखे गीत की तर्ज़
बनाई है शंकर जयकिशन ने। गीत छोटा सा है मगर इसका
असर लम्बी देर तक रहता है।



गीत के बोल:

तुम जो हमारे मीत ना होते
गीत ये मेरे गीत ना होते

हंस के जो तुम ये रंग ना भरते
ख्वाब ये मेरे ख्वाब ना होते

तुम जो ना सुनते
क्यूँ गाता मैं
तुम जो ना सुनते
क्यूँ गाता मैं
बेबस घुट के रह जाता मैं

तुम जो हमारे मीत ना होते
गीत ये मेरे गीत ना होते
तुम जो हमारे

जी करता है उड़ कर आऊँ
जी करता है उड़ कर आऊँ
सामने बैठूं और दोहराऊँ

तुम जो हमारे मीत ना होते
गीत ये मेरे गीत ना होते

हंस के जो तुम ये रंग ना भरते
ख्वाब ये मेरे ख्वाब ना होते

तुम जो हमारे
...................................
Tum jo hamare meet na hote(Mukesh)-Aashiq 1962

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Nov 8, 2010

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा-तीसरी कसम १९६६

फिल्म तीसरी कसम की गिनती सर्वकालिक श्रेष्ठ हिंदी फिल्मों
में होती है। इस फिल्म के गीत संगीत रसिकों के लिए अनमोल खज़ाना
है विशेषकर मुकेश और लता के गाये गीत। इस फिल्म में आशा भोंसले के
गाये तीन गीत हैं। केवल एक गीत लोकप्रिय है और बाकी २ अनसुने से हैं।
उन अनसुने गीतों को भी सुन लिया जाए। शैलेन्द्र के बोल हैं और संगीत
शंकर जयकिशन का। गाँव की नौटंकी का माहौल है और उसमे नायिका
वहीदा रहमान नाच रही हैं। दर्शक दीर्घा में नायक राज कपूर बैठे हैं।
इफ़्तेख़ार नाम के कलाकार को भी पहचानिए। ये वही इफ़्तेख़ार
हैं जो अमिताभ वाली डॉन में पुलिस इंस्पेक्टर बने थे।

कहते हैं टूटते तारे को देख के जो माँगा जाए मिल जाता है। इस गीत
में कुछ और ही किस्सा बयां हो रहा है। हर कोई चाहता है एक मुट्ठी
आसमान ..............



गीत के बोल:

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
लूटा रे लूटा मेरे सैयां ने लूटा
हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
लूटा रे लूटा मेरे सैयां ने लूटा

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा

पहला तारा अटरिया पे टूटा
दाँतों तले मैं ने दाबा अंगूठा
दाँतों तले मैं ने दाबा अंगूठा
लूटा रे लूटा सांवरिया ने लूटा

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
लूटा रे लूटा मेरे सैयां ने लूटा
हाय गज़ब कहीं तारा टूटा

दूसरा तारा बज़रिया में टूटा
दूसरा तारा बज़रिया में टूटा
देखा है सबने कि मेला सा छूटा
देखा है सबने कि मेला सा छूटा
लूटा रे लूटा सिपहिया ने लूटा

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
लूटा रे लूटा मेरे सैयां ने लूटा
हाय गज़ब कहीं तारा टूटा

तीसरा तारा फूल बगिया में टूटा
तीसरा तारा फूल बगिया में टूटा

फूलों से पूछे कोई है कौन झूठा
फूलों से पूछे कोई है कौन झूठा
लूटा रे लूटा दरोगा ने लूटा

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
लूटा रे लूटा मेरे सैयां ने लूटा
हाय गज़ब कहीं तारा टूटा

हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
लूटा रे लूटा मेरे सैयां ने लूटा
हाय गज़ब कहीं तारा टूटा
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Haye ghazab kahin tara toota-Teesri kasam 1966

Aerist: Waheeda Rehman

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Nov 6, 2010

मैंने देखी जग की रीत-सुनहरे दिन १९४९

पुराने गीतों का खज़ाना नायब रत्नों से भरा हुआ है इसमें कोई संशय
संशय नहीं। इस खजाने को कई नामचीन संगीतकारों ने भरा
तो कुछ अनमोल रत्न अनजान से संगीतकारों ने भी डाले।

ज्ञान दत्त पहली पीढ़ी के संगीतकारों में जाना पहचाना नाम है। ४० के
दशक में उनकी तूती बोला करती थी। उनका नाम आज की पीढ़ी के लिए
अनजान सा हो सकता है मगर उनके संगीत का जादू एक बार असर कर
गया तो सुननेवाला उनके गीत कभी नहीं भुला पाता। उनका संगीतबद्ध
किया एक गीत मैं आपको पहले सुनवा चुका हूँ भक्त सूरदास फिल्म
का-पंछी बावरा। प्रस्तुत गीत है अपने ज़माने का एक चर्चित युगल गीत।
शमशाद बेगम और मुकेश का गाया ये गीत आज भी ताज़ा लगता है।

शमशाद की तीखी आवाज़ के साथ मुकेश की ठंडक पहुँचाने वाली बोली का
अनोखा मिश्रण है ये। इन दोनों ने और भी कई युगल गीत गाये हैं। विडियो
के साथ एकदम सटीक कमेन्ट है एक संगीतप्रेमी का।



गीत के बोल:

मैंने देखी जग की रीत
मीत सब झूठे पड़ गए
हो ओ ओ, मेरे बालम इतना दोष
कि तुम संग नैना लड़ गए
मीत सब झूठे पड़ गए
हो ओ ओ, मेरे बालम इतना दोष
कि तुम संग नैना लड़ गए
मीत सब झूठे पड़ गए

मैंने देखी जग की रीत
मीत सब झूठे पड़ गए

रसिया सताए हमें अब जान-जान के
बड़ा दुःख पाया मैंने दिल का कहा मान के
रसिया सताए हमें अब जान-जान के
बड़ा दुःख पाया मैंने दिल का कहा मान के
हो ओ ओ, तेरी meri प्रीत पुरानी रे
बालम काहे बिगड़ गए
मीत सब झूठे पड़ गए
हो ओ ओ, तेरी मेरी प्रीत पुरानी रे
बालम काहे बिगड़ गए
मीत सब झूठे पड़ गए

मैंने देखी जग की रीत
मीत सब झूठे पड़ गए

एक दिल दुःख ज़माने भर के
हाय रे ज़माने भर के
हम तो भरोसे रे रसिया
हैं बस तुम्हारे दर के
हाय रे तुम्हारे दर के
हो ओ ओ, मेरे भोले दिल पे सजन क्या जादू कर गए
मीत सब झूठे पड़ गए
हो ओ ओ, मेरे भोले दिल पे सजन क्या जादू कर गए
मीत सब झूठे पड़ गए

मैंने देखी जग की रीत
मीत सब झूठे पड़ गए

आये भी वो गए भी
आये भी वो गए भी
मेरे दिल की रह गई दिल में
नसीबी भर के बतियाँ
गुज़री रो रो के रतियाँ
मेरे दिल की रह गई दिल में
नसीबी भर के बतियाँ
गुज़री रो रो के रतियाँ
अब जिया पुकारे आ जा
अब जिया पुकारे आ जा
आ जा दोनों नैना भर गए
मीत सब झूठे पड़ गए

मैंने देखी जग की रीत
मीत सब झूठे पड़ गए

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Apr 29, 2010

डम डम डिगा डिगा -छलिया १९६०

फ़िल्मी गीतों पर आधारित अन्ताक्षरी बहुत लोगों ने खेली होगी।
फिल्म छलिया का एक गीत है जो रेडियो पर जितना सुना गया
उतना ही भिन्न भिन्न प्राणियों (गायक और पार्ट टाइम गायक)
की आवाजों में सुना गया। अन्ताक्षरी में कठिन शब्द होते 'ड' और
'ठ' ।

मुकेश के गाये और राज कपूर पर फिल्माए गए इस गीत में आपको
बहुत सी चीज़ों की झलक मिल जाएगी। राज कपूर के गुरु केदार शर्मा
की छाप, राज कपूर के सहायक से स्वतंत्र निर्देशन की राह पर पहुंचे
मनमोहन देसाई के निर्देशन पर राज कपूर के फ़िल्मी एलिमेंट्स का
प्रभाव और शंकर जयकिशन के संगीत की ख़ुशबू।



गीत के बोल:

डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा
डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा
बिन पिए मैं तो गिरा, मैं तो गिरा, मैं तो गिरा
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह

डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा
बिन पिए मैं तो गिरा, मैं तो गिरा, मैं तो गिरा
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह

तेरी अदा वह वह क्या बात है
हाय तेरी अदा
अरे तेरी अदा वह वह क्या बात है
अँखियाँ झुकी झुकी बातें रुकी रुकी
अँखियाँ झुकी झुकी बातें रुकी रुकी
देखो कोई रे आज लुट गया

हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह

डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा
बिन पिए मैं तो गिरा, मैं तो गिरा, मैं तो गिरा
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह

सनम हम माना गरीब हैं
हाय, सनम हम
ए जी सनम हम माना गरीब हैं
नसीबा खोटा सही बंद छोटा सही
नसीबा खोटा सही बंद छोटा सही
दिल ये खज़ाना है प्यार का
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह

डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा
बिन पिए मैं तो गिरा, मैं तो गिरा, मैं तो गिरा
हाय अल्लाह सूरत आपकी सुभान अल्लाह

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Mar 2, 2010

मैं दिल हूँ एक अरमान भरा -अनहोनी १९५२

संगीतकार रोशन के संगीत सफ़र का एक मील का पत्थर फिल्म
है-अनहोनी जो १९५२ में आई थी। राज कपूर जो नायक हैं और पियानो
पर बैठे हैं तलत महमूद की आवाज़ में होंठ हिला रहे हैं। इस गीत को
तलत महमूद के सबसे मशहूर गीतों में गिना जाता है। गीत लिखा है
सत्येन्द्र अथैया ने । गीत में आपको नर्गिस और ओमप्रकाश नाम के
कलाकार भी दिखाई दे जायेंगे।

जैसे ग्रामीण परिवेश की फिल्मों में नायक का हल चलाना या बकरी
चराना ज़रूरी है वैसे ही शहरी परिवेश को दर्शाती फिल्मों में नायक का
पियानो बजाना ज़रूरी है। ये भी एक फार्मूला है फिल्मों का जिसका
सदुपयोग फिल्म निर्देशक समय समय पर बखूबी करते रहे हैं। गीत
उन दिनों का है जब राज कपूर केश तेल का भरपूर प्रयोग किया करते
थे जिससे उनके बाल काफी घने रहते थे जो गीत में स्पष्ट है।



गीत के बोल:

मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
एक सागर हूँ ठहरा ठहरा
एक सागर हूँ ठहरा ठहरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा

खुद मैंने हुस्न के हाथों में
शोखी का छलकता जाम दिया
गालों को गुलाबों का रुतबा
कलियों को लबों का नाम दिया,
नाम दिया
आँखों को दिया सागर गहरा
आँखों को दिया सागर गहरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा

मैं दिल हूँ एक अरमान भरा

ये सच है तेरी महफ़िल में
ये सच है तेरी महफ़िल में
मेरे अफसाने कुछ भी नहीं
पर दिल की दौलत के आगे
दुनिया के खजाने कुछ भी नहीं
यूँ मुझसे निगाहों को ना चुरा
यूँ मुझसे निगाहों को ना चुरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा

मैं दिल हूँ एक अरमान भरा

ये झिलमिल करते हुए दिए
ये झिलमिल करते हुए दिए
आखिर इक दिन बुझ जायेंगे
दौलत के नशे में डूबे हुए
ये राग रंग मिट जायेंगे
गूंजेगा मगर ये गीत मेरा
गूंजेगा मगर ये गीत मेरा
ये गीत मेरा

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Feb 7, 2010

इक दिन बिक जाएगा-धरम करम १९७५

ये गीत सही मायने में "मेरा नाम जोकर" के गीतों का extension है।
इस गीत तक राज कपूर उतने फुर्तीले तो नहीं बचे थे मगर सिनेमा की
शूटिंग के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली रेल पे चलने वाली ट्रोली के
जरिये वे अपना प्रभाव छोड़ पाने में सफल रहे हैं। ये गीत मुकेश के अंतिम
गीतों में से एक है और यादगार गीत माना जाता है।

फ़िल्म :धरम-करम
वर्ष:१९७५
गायक :मुकेश
गीतकार :मजरूह सुल्तानपुरी
संगीतकार : आर. डी. बर्मन
कलाकार: राज कपूर


...................

गाने के बोल:

इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल

इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल

ला ला ललल्लल्ला

अनहोनी पथ में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए
अनहोनी पथ में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए
ये बिरहा ये दूरी, दो पल की मजबूरी
फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये, तरम्पम
धारा, जो बहती है, मिल के रहती है
बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल

इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल

परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी
परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी
ये डोरी ना छूटे, ये बन्धन ना टूटे
भोर होने वाली है अब रैना है थोड़ी, तरम्पम,
सर को झुकाए तू, बैठा क्या है यार
गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से डोल

इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल

ला ला ललल्लल्ला
ला ला ललल्लल्ला
ला ला ललल्लल्ला
ला ला ललल्लल्ला

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Jan 24, 2010

झूम झूम के नाचो आज-अंदाज़ १९४९

फिल्म: अंदाज़
वर्ष: १९४९
संगीत : नौशाद
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
गायक : मुकेश
कलाकार : दिलीप कुमार, राज कपूर, नर्गिस



गीत के बोल:

झूम झूम के नाचो आज, नाचो आज, गाओ खुशी के गीत हो
गाओ खुशी के गीत
आज किसी की हार हुई है, आज किसी की जीत, हो
गाओ खुशी के गीत, हो ओ

कोई किसी किसी की, आँख का तारा
जीवन साथी, साजन प्यारा
और कोई तक़दीर का मारा
ढूँढ रहा है दिल का सहारा
किसी को दिल का दर्द मिला है, किसी को मन का मीत, हो
गाओ खुशी के गीत, हो ओ

झूम झूम के नाचो आज, नाचो आज, गाओ खुशी के गीत हो
गाओ खुशी के गीत, हो ओ

देखो तो कितना, खुश है ज़माना
दिल में उमंगें लब पे तराना
दिल जो दुखे आँसू न बहाना
ये तो यहाँ का ढंग पुराना
इसको मिटाना उसको बनाना, इस नगरी की रीत हो
गाओ खुशी के गीत, हो ओ

झूम झूम के नाचो आज, नाचो आज, गाओ खुशी के गीत हो
गाओ खुशी के गीत, हो ओ
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Jhoom jhoom ke nacho aaj-Andaz 1949

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