एक वो भी दिवाली थी-नजराना १९६१
संगीतकार रवि ने इस फ़िल्म में राज कपूर के लिए दो पार्श्व
गायकों की आवाज़ का इस्तेमाल किया है- मुकेश और रफ़ी।
ये मुकेश का गाया हुआ गीत है। बोल है राजेंद्र कृष्ण के और
दीवाली के दिन हीरो दुखी क्यूँ है उसका बयान करता है। इस
फ़िल्म के निर्देशक सी वी श्रीधर हैं और इसमे राज कपूर के
साथ वैजयंतीमाला अभिनेत्री हैं। ये जोड़ी बाद में राज कपूर की
स्वयं निर्देशित फ़िल्म संगम -१९६४ में दिखाई दी।
गाने के बोल:
एक वो भी दिवाली थी, एक ये भी दिवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ माली है
एक वो भी दिवाली थी, एक ये भी दिवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ माली है
बाहर तो उजाला है, मगर दिल में अँधेरा
समझो ना इसे रात, ये है ग़म का सवेरा
बाहर तो उजाला है मगर दिल में अँधेरा
समझो ना इसे रात, ये है ग़म का सवेरा
क्या दीप जलायें हम, तक़दीर ही काली है
उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ माली है
ऐसे न कभी दीप किसी दिल का बुझा हो
मैं तो वो मुसाफ़िर हूँ, जो रस्ते में लुटा हो
ऐसे न कभी दीप किसी दिल का बुझा हो
मैं तो वो मुसाफ़िर हूँ , जो रस्ते में लुटा हो
ऐ मौत तू ही आ जा, दिल तेरा सवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ माली है
एक वो भी दिवाली थी, एक ये भी दिवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ गाली है
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Ek wo bhi diwali thi-Nazrana 1961
Artist-Raj Kapoor
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