आईने के सौ टुकड़े-माँ १९९१
वाले गाने कम हैं। पुराने वक्त की याद दिलाता ये गीत कुमार सानू
ने गाया है । ८० के बाद के आधे दशक में चीख पुकार के दौर के बाद
थोड़े कर्णप्रिय गीत ९० में भी सुनने को मिले। हसरत जयपुरी ने अपनी
छाप इस गाने में भी छोड़ी है। धुन बनाई है अन्नू मलिक ने। हिन्दी सिनेमा
की सबसे सुंदर अभिनेत्रियों में से एक इस फ़िल्म में मौजूद है ।
नायक जीतेंद्र हैं जो इस गीत को परदे पर गा रहे हैं ।
गाने के बोल:
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
एक में भी तनहा थे, सौ में भी अकेले हैं
सौ में भी अकेले हैं
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
एक में भी तनहा थे, सौ में भी अकेले हैं
सौ में भी अकेले हैं
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
जो बना था एक साथी, वो भी हम से छूटा है
बेवफा नहीं जब वो, फ़िर क्यो हम से रूठा है
जो बना था एक साथी, वो भी हम से छूटा है
बेवफा नहीं जब वो, फ़िर क्यो हम से रूठा है
फ़िर क्यो हम से रूठा है
खोयी खोयी आखों में, आसुओं के मेले हैं
खोयी खोयी आखों में, आसुओं के मेले हैं
एक में भी तनहा थे, सौ में भी अकेले हैं
सौ में भी अकेले हैं
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
उस का हाल क्या होगा, यही गम सताता है
नींद भी नहीं आती, दर्द बढ़ता जाता है
उस का हाल क्या होगा, यही गम सताता है
नींद भी नहीं आती, दर्द बढ़ता जाता है
दर्द बढ़ता जाता है
जिंदगी की राहों में, लोग हम से खेले हैं
जिंदगी की राहों में, लोग हम से खेले हैं
एक में भी तनहा थे, सौ में भी अकेले हैं
सौ में भी अकेले हैं
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
हर तरफ़ उजाला है, दिल में एक अन्धेरा है
सामने कब आयेगा, क्यों छुपा सवेरा है
हर तरफ़ उजाला है, दिल में एक अन्धेरा है
सामने कब आयेगा, क्यों छुपा सवेरा है
क्यों छुपा सवेरा है
मेरा दिल ज़िगर देखो, कितने दर्द झेले हैं
मेरा दिल ज़िगर देखो, कितने दर्द झेले हैं
एक में भी तनहा थे, सौ में भी अकेले हैं
सौ में भी अकेले हैं
आईने के सौ टुकड़े, कर के हमने देखे हैं
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Aaine ke sau tukde-Maa 1991
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