बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा - ताज १९५६
बांसुरिया और कान्हा की याद से एक मधुर गीत याद आ गया
श्वेत श्याम के युग का। ये है फ़िल्म ताज का लता मंगेशकर और
हेमंत कुमार का गाया युगल गीत। इसमे प्रदीप कुमार और
वैजयंतीमाला की जोड़ी है। इस गीत की धुन और अभिनेत्री का नृत्य
दोनों धीमे हैं और श्रवण /दर्शन इन्द्रियों को आराम पहुँचाने वाले हैं।
इसकी एक लाइन मुझे अच्छे से याद है-सुन री ओ नटखट गवालन
की छोरी ......... इस गीत को मैंने कम से कम २००-३०० बार तो सुन
ही लिया होगा अभी तक। गीत लिखा है राजेंद्र कृष्ण ने और
इसकी धुन बनाई है हेमंत कुमार ने ।
गाने के बोल:
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
बंसी न बाजे तो जिया मोरा डोले
जिया मोरा डोले पिया बोली ये बोले
बंसी न बाजे तो जिया मोरा डोले
जिया मोरा डोले पिया बोली ये बोले
फ़िर से वोही धुन सुनाओ
कान्हा बांसुरिया
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
सुन री ओ नटखट गवालन की छोरी
मैं न बजाऊँगा ये बांस की पोरी
ऐसे न मुझको रुलाओ
कान्हा बांसुरिया
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
कान्हा तेरी मुरली में राधा की जान है
राधा तू ही तो मेरी बंसी की तान है
कान्हा तेरी मुरली में राधा की जान है
राधा तू ही तो मेरी बंसी की तान है
होंठों से मुरली लगाओ
कान्हा बांसुरिया
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
जा जा न हमको सताओ राधा
जा जा न हमको सताओ
बांसुरिया फ़िर से बजाओ कान्हा
बांसुरिया फ़िर से बजाओ
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