Nov 2, 2009

ये रंगीन महफिल-शिकारी १९६३

ब्लॉग पर अभी तो ओ पी नय्यर के बारे में ही चर्चा शुरू हुई है।
एक गीत याद आ गया जो उनके एक सहायक ने बतौर
स्वतंत्र संगीत निर्देशक तैयार किया है। इनका नाम है
जी एस कोहली । इन्होने कई फिल्मों में संगीत दिया है
मगर इनको प्रसिद्धि ज्यादा नहीं मिली। ये गीत तो जरूर
आपने एक-आध बार सुना होगा। इसको लिखा है फारूक कैसर ने
और इसको फिल्माया गया है सुप्रसिद्ध नृत्यांगना हेलन पर।
आशा भोंसले द्वारा गाये बढ़िया गीतों में में से एक। इस फ़िल्म के
हीरो हैं अजीत और खलनायक की भूमिका में हैं मदन पुरी। अगर आप
हिन्दी फिल्मों के शौकीन हैं तो माजरा भांप जायेंगे कि गाने में क्या
चल रहा है।

गाने के बोल:

ये रंगीन महफिल , गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी

ये रंगीन महफिल , गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी

नज़र से नज़र की मुलाक़ात देखी
अदाओं के तीरों की बरसात देखी

हो, बहुत देखे हमने, दिल देने वाले
मगर तुझमे जालिम, नई बात देखी

देख कर, उम्र भर की खुशी, मिल गई है

ये रंगीन महफिल , गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी
ये रंगीन महफिल

किसी से कभी प्यार करके तो देखो
किसी हुस्नवाले पर मर के तो देखो

हो, तूफ़ान के दामन में लाखों किनारे
ये शोलों का दरिया उतर के तो देखो

एक नई बेखुदी एक नई रौशनी

ये रंगीन महफिल , गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी
ये रंगीन महफिल
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Ye rangeen mehfil-Shikari 1963

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