मैंने रंग ली आज चुनरिया-दुल्हन एक रात की १९६६
वे गाने जिनके लिए मदन मोहन पहचाने जाते हैं उनमे से एक ।
कई बार ये जिक्र होता है कि जो गाने ज्यादा प्रसिद्ध हैं और संगीत
प्रेमियों की जुबान पर चढ़े हुए हैं उनका बार बार जिक्र क्यूँ होता है।
ऐसा इसलिए है कि वे संगीत प्रेमी जो अंग्रेज़ी भाषा के जानकर हैं
और जो इन्टरनेट पर ज्यादा सक्रिय हैं वो ऐसे गीतों का ही जिक्र
किया करते हैं । ये संयोग है कि ये गीत आम आदमी को भी उतना
ही पसंद है जितना कि शब्द-जाल बुनकर पाठकों को उलझाने वाले
लेखकों को ।
फ़िल्म 'दुल्हन एक रात की' का ये सबसे ज्यादा सुना जाने वाला
गीत है। रंग ली चुनरिया-ये ऐसे शब्द हैं जो जन मानस को
तुंरत अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गीत कि सफलता के पीछे
गीतकार का बहुत बड़ा योगदान है जिसका जिक्र कहीं नहीं मिला
मुझे। लता की आवाज़ के बारे में तो कोई प्रश्न ही नहीं, धुन भी
बढ़िया है, मगर जिन बोलों पर ये करिश्मा हुआ उसके बारे में दो
शब्द लिखने में शर्म क्यूँ महसूस करते हैं हमारे संगीत विशेषज्ञ ?
१९६६ में आई इस फ़िल्म के लिए गीत लिखे थे राजा मेहँदी अली
खान ने ।
गाने के बोल:
मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
सजना तोरे रंग में
सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली
जिया मोरा चाहे मैं भी खेलु ओ सजनवा, होली ऐसे
राधा ने कन्हैया से प्रेम कि होली खेली जैसे
प्रेम के मैं रंग फेंकू
बिन तुम्हारे कुछ न देखू
मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली
कितने जतन से ये रूप सजाया मैंने सजना
सोये हुए सपने को फिर जगाया मैंने सजना
मैं तो डूबी प्रेम रस में
अब नही मैं अपने बस में
मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली
जल्दी से आ मेरी बावरी अँखियाँ, तेरी प्यासी
चरणों में तेरे पिया स्वर्ग बसा ले ,तेरी दासी
तुम बता दो मेरे क्या हो
मैं तो जानू देवता हो
मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली
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