Showing posts with label Dulhan ek raat ki. Show all posts
Showing posts with label Dulhan ek raat ki. Show all posts

Sep 14, 2019

आपने अपना बनाया-दुल्हन एक रात की १९६७

हिंदी फिल्म की परिभाषा जाने किसने रची जिसके
अनुसार फिल्म में ६-७ गाने होना ज़रूरी हैं. कहानी
में थोड़ी थोड़ी देर में एक गाना.

सन १९६७ की फिल्म दुल्हन एक रात की में ढेर सारे
गाने हैं जिनमें से ३ हमने आपको सुनवा दिए हैं. ये
है इसी फिल्म से चौथा गाना जो युगल गीत है लता
और महेंद्र कपूर का गाया हुआ.

इसे भी राजा मेहँदी अली खान ने लिखा है और धुन
है एक बार फिर से मदन मोहन की.




गीत के बोल:

आपने अपना बनाया
मेहरबानी आपकी
मेहरबानी आपकी
हम तो इस काबिल न थे
हम तो इस काबिल न थे
हम तो इस काबिल न थे
है कदरदानी आप की
मेहरबानी आपकी
आपने अपना बनाया
………………………………………………………
Aapne apna banaya-Dulhan ek raat ki 1967

Artist:

Read more...

Oct 8, 2017

एक हसीन शाम को-दुल्हन एक रात की १९६६

सन १९६६ की नूतन की बेहतरीन अदायगी वाली फिल्म से एक और
गाना सुनते हैं. नायिका प्रधान इस फिल्म में नूतन का अभिनय सभी
कलाकारों पर भारी पड़ा है.

नैसर्गिक प्रतिभा की धनी नूतन ने भारतीय नारी की छबि और गरिमा
को बनाये रखने में अपना अमूल्य योगदान दिया है. ये फिल्म एक आम
तौर पर ना छुए जाने वाले विषय पर बनी है. अपने समय से थोडा आगे
की ये फिल्म मधुर गीतों से लबालब है. कुछ तो आप सुन चुके हैं अब
एक और सुनते हैं आज.

रफ़ी के ज्यादातर लोकप्रिय रोमांटिक गीत हसरत के लिखे हुए हैं मगर
इस गेट को लिखा है राजा मेहँदी अली खान ने. संगीतकार हैं मदन मोहन.
दशक बदलते बदलते रोमांस की स्पीड भी बढ़ी. ४० के दशक में ये
बैलगाडी की गति से हुआ, ५० के दशक में ये साईकिल पर सवार हुआ,
६० के दशक में ये स्कूटर पर सवार हुआ, ७० के दशक में ये कार पर
आया, ८० का दशक हेलिकॉप्टर की गति वाला था, ९० का दशक रेसिंग
कर वाला और २००० के बाद वाला समय हवाई जहाज़ की गति वाला
है.



   
गीत के बोल:

एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
पहले अपना हुआ करता था  अब किसी का हो गया
एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया

मुद्दतो से आरजू थी  जिन्दगी में कोई आये
सूनी सूनी जिन्दगी में कोई शमा झिलमिलाए
वो जो आए तो रोशन ज़माना हो गया
एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया

मेरे दिल के कारवां को ले चला है आज कोई
शबनमी सी जिसकी आँखे  थोड़ी जागी थोड़ी सोई
उनको देखा तो मौसम सुहाना हो गया

एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
पहले अपना हुआ करता था  अब किसी का हो गया
एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
…………………………………………………………….
Ek haseen shaam ko-Dulhan ek raat ki 1966

Artist: Dharmendra, Nutan

Read more...

Aug 3, 2016

कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र-दुल्हन एक रात की १९६६

कुछ गीत ऐसे बने हैं हिंदी फिल्मों के जिनको सुनते वक्त 
डिक्शनारी साथ ले के बैठना पड़ जाता है. ऐसा ही एक
गीत है फिल्म दुल्हन एक रात की में लता मंगेशकर का
गाया हुआ. डॉक्टर इकबाल के लिखे इस राजा गीत की
धुन बनाई है मदन मोहन ने. इसे कव्वाली भी कहते हैं.

मदन मोहन की तर्ज़ और लाता के गाये गीतों की तारीफ
बहुत सुनी पर पढ़ी है जगह-जगह मगर इस गीत पर किसी
उर्दू विशेषज्ञ की राय अभी तक नहीं देखी.

धुन उम्दा है और इसे सुन कर इसका फैन बनना आसान
नहीं है-वजह इसकी क्लिष्ट भाषा. फिल्म के बाकी गीतों को
जनता ज्यादा सुनती है.



गीत के बोल:

कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र
नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र
नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
के हज़ारों सजदे तड़प रहे
हैं मेरी जबीं-ए-नियाज़ में

न बचा-बचा के तू रख इसे
न बचा-बचा के तू रख इसे
तेरा आईना है वो आईना
तेरा आईना है वो आईना
आईना आईना
न बचा-बचा के तू रख इसे
तेरा आईना है वो आईना
तेरा आईना है वो आईना
आईना आईना
तेरा आईना है वो आईना
के शिकस्ता हो तो अजीजतर
है निगाह-ए-आईनासाज़ में
के शिकस्ता हो तो अजीजतर
है निगाह-ए-आईनासाज़ में

कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र

ना वो इश्क़ में रहीं गर्मियां
न वो हुस्न में रहीं शोखियाँ
ना वो इश्क़ में रहीं गर्मियां
न वो हुस्न में रहीं शोखियाँ
शोखियाँ शोखियाँ
ना वो इश्क़ में रहीं गर्मियां
न वो हुस्न में रहीं शोखियाँ
ना वो गज़नवी में तड़प रही
ना वो ख़म है ज़ुल्फ़-ए-अयाज़ में
ना वो गज़नवी में तड़प रही
ना वो ख़म है ज़ुल्फ़-ए-अयाज़ में

मैं जो सर-बा-सजदा कभी हुआ
तो ज़मीन से आने लगी सदा
तेरा दिल तो है सनम आशना
तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में

कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र
नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र
नज़र आ नज़र आ
नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
के हज़ारों सजदे तड़प रहे
हैं मेरी जबीं-ए-नियाज़ में

कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र
नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कभी ए हकीकत-ए-मुन्तज़र
……………………………………………..
Kabhi ae haqeeqt-e-muntazir-Dulhan ek raat ki 1966

Artists: Nutan

Read more...

Jan 31, 2010

सपनों में अगर मेरे-दुल्हन एक रात की १९६६

पसंद नापसंद कुछ अजीब सा किसा है। तेज़ लहसुन वाली
'पाव भाजी' खाने वाले किसी व्यक्ति को बनारस का प्रसिद्ध
"मलैयो" पसंद आ सकता है। एक मित्र हैं हमारे(ऑरकुट वाले)
जिनका मानना है कि फिल्म-दुल्हन एक रात की" में सबसे
बढ़िया गीत ये है जिसे आज हम सुनेंगे । फिल्म के शीर्षक
गीत के बाद अगर कोई गीत थोडा कम शोरगुलवाला है तो वो
शायद यही है। इसमें सबसे ज्यादा उतार चढाव हैं इसलिए
थोडा कानों की कसरत भी हो जाती है। कुल मिलकर ये कहा
जाए कि मदन मोहन ने नूतन के लिए उनकी प्रतिभा और
व्यक्तित्व के साथ न्याय करते हुए एक उत्तम धुन बनाई है।



गीत के बोल:

bol baad mein chipkaye jayenge, dhanyawad....

Read more...

Nov 4, 2009

मैंने रंग ली आज चुनरिया-दुल्हन एक रात की १९६६

वे गाने जिनके लिए मदन मोहन पहचाने जाते हैं उनमे से एक ।
कई बार ये जिक्र होता है कि जो गाने ज्यादा प्रसिद्ध हैं और संगीत
प्रेमियों की जुबान पर चढ़े हुए हैं उनका बार बार जिक्र क्यूँ होता है।
ऐसा इसलिए है कि वे संगीत प्रेमी जो अंग्रेज़ी भाषा के जानकर हैं
और जो इन्टरनेट पर ज्यादा सक्रिय हैं वो ऐसे गीतों का ही जिक्र
किया करते हैं । ये संयोग है कि ये गीत आम आदमी को भी उतना
ही पसंद है जितना कि शब्द-जाल बुनकर पाठकों को उलझाने वाले
लेखकों को ।

फ़िल्म 'दुल्हन एक रात की' का ये सबसे ज्यादा सुना जाने वाला
गीत है। रंग ली चुनरिया-ये ऐसे शब्द हैं जो जन मानस को
तुंरत अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गीत कि सफलता के पीछे
गीतकार का बहुत बड़ा योगदान है जिसका जिक्र कहीं नहीं मिला
मुझे। लता की आवाज़ के बारे में तो कोई प्रश्न ही नहीं, धुन भी
बढ़िया है, मगर जिन बोलों पर ये करिश्मा हुआ उसके बारे में दो
शब्द लिखने में शर्म क्यूँ महसूस करते हैं हमारे संगीत विशेषज्ञ ?
१९६६ में आई इस फ़िल्म के लिए गीत लिखे थे राजा मेहँदी अली
खान ने ।



गाने के बोल:

मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में

मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
सजना तोरे रंग में
सजना तोरे रंग में

मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली

जिया मोरा चाहे मैं भी खेलु ओ सजनवा, होली ऐसे
राधा ने कन्हैया से प्रेम कि होली खेली जैसे
प्रेम के मैं रंग फेंकू
बिन तुम्हारे कुछ न देखू

मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली

कितने जतन से ये रूप सजाया मैंने सजना
सोये हुए सपने को फिर जगाया मैंने सजना
मैं तो डूबी प्रेम रस में
अब नही मैं अपने बस में

मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली

जल्दी से आ मेरी बावरी अँखियाँ, तेरी प्यासी
चरणों में तेरे पिया स्वर्ग बसा ले ,तेरी दासी
तुम बता दो मेरे क्या हो
मैं तो जानू देवता हो

मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तोरे रंग में
मैंने रंग ली

Read more...
© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP