छुपने वाले सामने आ-तुमसा नहीं देखा १९५७
मोहम्मद रफ़ी के गाये शानदार गीतों में से एक। फ़िल्म का
नाम है 'तुमसा नहीं देखा'। ऐसे गीत जिसमे गायक की आवाज़ और
ताल वाद्य जैसे तबला, ढोलक इत्यादि बराबर की तकार दे रहे हों
ऐसे गीत सुनने में ज्यादा आनंद देते हैं। इस गीत में भी ऐसा ही
कुछ है। हीरो द्वारा हिरोइन को रिझाने की कोशिश में कई महिला
कलाकार हीरो की मदद कर रहे हैं। दांतों में ऊँगली दबाने की लड़कियों
की आदत का जिक्र इस गाने में किया गया है जो इसकी विशेषता है।
गाने के बोल:
छुपने वाले सामने आ
छुप छुप के मेरा जी न जला
सूरज से किरन बादल से पवन
कब तलक छुपेगी ये तो बता
छुपने वाले सामने आ ...
आ लिपटी है दिल से मेरे
ज़ुल्फ़ तेरी बलखाई हुई
देख रहा हूँ तेरी नज़र
अपनी नज़र तक आई हुई
गालों पर ज़ुल्फ़ें न गिरा
तू है क़यामत मैं हूँ बला
छुपने वाले सामने आ ...
आखिर तेरे नाज़ की ये
हार नहीं तो और है क्या
दौड़ के आना पास मेरे
प्यार नहीं तो और है क्या
दूर खड़ी हैरान है क्या
दाँतों में यूँ उंगली न दबा
छुपने वाले सामने आ ...
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