Nov 28, 2009

ततैया ने डंक मारा-जलमहल १९८०

हिन्दी गानों में तकरीबन सभी जीव जंतुओं के
नाम लिए जा चुके हैं हो हमारे आस पास पाये जाते हैं।
इनमे से एक है -ततैया जो डंक मार दे तो बहुत तकलीफ
होती है। १९८० की फ़िल्म जलमहल में एक गीत है जो
रेखा और जीतेन्द्र पर फिल्माया गया है। आइये सुनें और
देखें ततैया के डंक मारने पर अभिनेत्री को क्या हुआ।
इस गाने में नीबू मिर्ची का भी जिक्र है तो इस पोस्ट को
नज़र उतरने वाली पोस्ट समझें :p
ये गीत भी मजरूह साहब की कलम का कमाल है। उनकी
खड़ी बोली और हिन्दी पर भी उर्दू के समान मजबूत पकड़ थी।



गाने के बोल:

उई
ततैया ने डंक मारा
हाय रे मोरी मैया
कहीं से लाओ ज़हर उतरैया

दिया, मर गई रे

ततैया ने डंक मारा
हाय मोरी मैया
कहीं से लाओ ज़हर उतरैया

दिया, मर गई रे

बाग़ में राजा जी के
गई थी फूल तोड़ने
छुपा बैठा था बैरी
वहीँ पर एक फूल में
बाग़ में राजा जी के
गई थी फूल तोड़ने
छुपा बैठा था बैरी
वहीँ पर एक फूल में

पहले तो मैं समझी कोई काँटा लगा
हो, पहले तो मैं समझी कोई काँटा लगा
फ़िर तो, मर गई रे

ततैया ने डंक मारा
हाय मोरी मैया
कहीं से लाओ ज़हर उतरैया

दैया, मर गई रे

ज़हर जिसका है सखियों
उसी को लाओ जा के
के अब तो चड़ते चड़ते
जिगर तक पहुँचा आके
ज़हर जिसका है सखियों
उसी को लाओ जा के
के अब तो चड़ते चड़ते
जिगर तक पहुँचा आके

जाओ जल्दी जाओ मेरे सैयां को लाओ
जाओ जल्दी जाओ मेरे सैयां को लाओ
रामा, मर गई रे

ओ, होए, हो ओ ओ
डागदर बाबू जाओ जे अपनी सुई लेके
वैद जी काहे बैठे हाथ में रुई लेके
डागदर बाबू जाओ जे अपनी सुई लेके
वैद जी काहे बैठे हाथ में रुई लेके

इनकी तो दवाई मेरे हाथों में
हाँ, इनकी तो दवाई मेरे हाथों में

लाओ, झाड़ू लाओ, निम्बू लाओ, काला धागा लाओ
अरे, अन्तर मंतर जय काली चल चल कलकत्ते वाली
चल चल चल चल, छू

ऊई , दय्या मर गई रे

ततैया ने डंक मारा
हाय मोरी मैया
कहीं से लाओ ज़हर उतरैया

दैया, मर गई रे

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP