तेरे दर पे आया हूँ-चोर बाज़ार १९५४
तलत महमूद ने भी उपकृत किया गुमनाम से संगीतकारों
को इनमे से एक नाम है सरदार मालिक का । ये गीत उनकी
आवाज़ के हिसाब से ही तैयार किया गया है। पुराने संगीतकार
गायकों की रेंज का इस्तेमाल बखूबी जानते थे । आपको
मूंछों वाले शम्मी कपूर को बिना कमर हिलाए ऐसा धीमा
गीत गाते देख के आश्चर्य ज़रूर होगा। इस गीत में उनके
हाथ और हिलती गर्दन देख कर १९५४ में दर्शकों को उनके
आने वाले सुनहरे भविष्य पे ज़रा भी संदेह नहीं बचा होगा।
इस गीत में वे राज कपूर के थोड़े सकपकाने वाले खिसियानेपन
(जिससे राज कपूर स्वयं बहुत बाद में मुक्त हुए) की कॉपी करते
नज़र आ रहे हैं ।
गीत के बोल:
तेरे दर पे आया हूँ फ़रियाद ले कर
तेरे दर पे आया हूँ फ़रियाद ले कर
जुबां पर गम-ऐ-दिल की रूदाद ले कर
तेरे दर पे आया
परेशान है दिल घड़ी भर को आ जा
ज़रा मेरी सुन जा और अपनी सुना जा
कहाँ जाऊं मैं हाल-ऐ-बरबाद ले कर
तेरे दर पे आया हूँ फ़रियाद ले कर
जुबां पर गम-ऐ-दिल की रूदाद ले कर
तेरे दर पे आया
मेरे दर्द-ऐ-दिल से नहीं बेखबर तू
मेरे दर्द-ऐ-दिल से नहीं बेखबर तू
बने मेरी किस्मत जो कर दे नज़र तू
मुहब्बत की नाकामियाँ छा गयीं हैं
उम्मीदों की कलियाँ मुरझा गयीं हैं
कहीं मर न जाऊं तेरी याद ले कर
तेरे दर पे आया हूँ फ़रियाद ले कर
जुबां पर गम-ऐ-दिल की रूदाद ले कर
तेरे दर पे आया
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