मेरे नैना सावन भादो(लता)-महबूबा १९७६
लता मंगेशकर के गाये सर्वश्रेष्ठ गीत हम कुछ शामिल कर चुके हैं इस
ब्लॉग पर। ये गीत भी उनके संगीत के सफर का एक मील का पत्थर है।
फ़िल्म ज्यादा नहीं चली मगर ये गीत अब भी उतने ही चाव से सुना जाता है।
गीतकार हैं 'पारस के पत्थर' आनंद बक्षी । संगीत बनाया है आर डी बर्मन ने
जिन्हें इस फ़िल्म के ज्यादा न चलने का दुःख हुआ। इस फ़िल्म के संगीत पर
उन्होंने बहुत मेहनत की थी।
गीत के बोल:
मेरे नैना सावन भादों
फिर भी मेरा मन प्यासा
फिर भी मेरा मन प्यासा
बात पुरानी है एक कहानी है
बात पुरानी है
अब सोचूँ तुम्हे याद नहीं है
अब सोचूँ नहीं भूले
वो सावन के झूले
रुत आए रुत जाए दे के
झूठा एक दिलासा
फिर भी मेरा मन प्यासा
बरसों बीत गए, हमको मिले बिछड़े
बिजुरी बनकर, गगन पे चमके
बीते समय की रेखा, मैंने तुमको देखा
तड़प तड़प के इस बिरहन को
आया चैन ज़रा सा,
फिर भी मेरा मन प्यासा
घुंघरू की छमछम, बन गई दिल का ग़म
डूब गया दिल, यादों में फिर
उभरी बेरंग लकीरें, देखो ये तसवीरें
सूने महल में नाच रही है
अब तक एक रक्कासा,
फिर भी मेरा मन प्यासा
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