मेरी आशा के जीवन में आई बहार-औरत १९४०
ज़ोर का झटका धीरे से। आइये ३७ साल पीछे चलें। फ़िल्म जादू टोना
के गीत के बाद देखिये सन १९४० के एक गीत। ये फ़िल्म औरत से है
इसी फ़िल्म को बाद में महबूब ने १९५७ में मदर इंडिया की शक्ल दी।
गायिका हैं सरदार अख्तर और सुरेन्द्र , बोल है सफ़दर "आह" सीतापुरी
के और धुन है अनिल बिश्वास की। इस गीत की अंतिम पंक्तियाँ रोचक हैं।
गीत के बोल:
मेरी आशा के जीवन में आई बहार
मेरी आशा के जीवन में आई बहार
चले शीतल पवन खिले फूलों की डार
चले शीतल पवन खिले फूलों की डार
बनी अपने पिया के गले का मैं हार
बनी अपने पिया के गले का मैं हार
मेरी आशा के जीवन में आई बहार
सुनो पंछी के राग, करे कोयल पुकार
सुनो पंछी के राग
मची बागों में धूम
किये पत्ते निखार, मची बागों में धूम
किये पत्ते निखार, मची बागों में धूम
हुआ फूलों के गहने से बनता सिंगार
हुआ फूलों के गहने से बनता सिंगार
सुनो पंछी के राग, करे कोयल पुकार
सुनो पंछी के राग, करे कोयल पुकार
आहा खेतों पे पड़ती है जल की फुहार
आहा खेतों पे पड़ती है जल की फुहार
पड़ी नैनों पे चोट, लगी दिल में कटार
पड़ी नैनों पे चोट, लगी दिल में कटार
चले छैला सजनवा जो छाती उभार
चले छैला सजनवा जो छाती उभार
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