गाँव में पीपल-सूरज और चंदा १९७३
ये गीत। इसमे संजीव कुमार हीरो हैं जो रफ़ी की आवाज़ पर
अपने होंठ हिलाते नज़र आ रहे हैं। साथ में एक अनजान सी
अभिनेत्री हैं । फ़िल्म का रफ़ी का ही गाया दूसरा गीत बहुत
बजा है। इस गाने पर श्रोताओं की मेहरबानी बहुत ही कम रही
है। इस गीत की धुन बनाई है लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने ।
इस गीत को सुन कर थोड़ा सा सोया हुआ कवि मेरे अन्दर भी
जाग गया है। नमूना पेश है:
इन्टरनेट पर ब्लॉगर, ब्लॉगर पे कई ब्लॉग। ब्लॉग पर
बहुत सी पोस्ट। ........................पाठक नदारद
गाने के बोल:
गाँव में पीपल, पीपल की छैंया
गाँव में पीपल, पीपल की छैंया
छैया में पनघट, पनघट में पानी
पानी में आग लगाए, रानी तेरी जवानी
गाँव में पीपल, पीपल की छैंया
छैया में पनघट, पनघट में पानी
पानी में आग लगाए, ओ रानी तेरी जवानी
निकली नहा के गोरी, तालाब से कुछ ऐसे
सावन में बादलों से, निकला हो चाँद जैसे
निकली नहा के गोरी, तालाब से कुछ ऐसे
सावन में बादलों से, निकला हो चाँद जैसे
सावन में बादलों से, निकला हो चाँद जैसे
हाय, कानों में झुमके, मुखड़े पे आँचल
आंखों में कजरा, पाँव में पायल
पायल से गीत सुनाये, ओ रानी तेरी जवानी
ये रूप है या शोला, ये रंग है के जादू
ये नैन हैं के झूले, ये ज़ुल्फ़ है के बादल
ये रूप है या शोला, ये रंग है के जादू
ये नैन हैं के झूले, ये ज़ुल्फ़ है के बादल
ये नैन हैं के झूले ये ज़ुल्फ़ है के बादल
हाय, तेरा क्या कहना देखें जो नैना
तो सारी रैना जागे ये नैना
नैनों से नींद चुराए हो रानी तेरी जवानी
गाँव में पीपल, पीपल की छैंया
छैया में पनघट, पनघट में पानी
पानी में आग लगाए, हो रानी तेरी जवानी
ओ रानी तेरी जवानी
होय, होय, होय, तेरी जवानी
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Gaon mein peepal-Suraj aur Chanda 1973
Artists: Sanjeev Kumar, ?????
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