जीवन डोर तुम्ही संग बांधी-सती सावित्री १९६४
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल के लिए लता ने करीब ६०० से ऊपर गीत गाये।
ये आंकड़ा उनके द्वारा किसी भी संगीतकार के लिए गाये गीतों में सबसे ऊपर है।
कुछ कर्णप्रिय गीत उन्होंने भी बनाये । लता मंगेशकर को उन्होंने सभी प्रकार के
गीत गाने के लिए दिए। शंकर जयकिशन के बाद वे ही ऐसे संगीतकार हैं जिनके
खजाने में आपको लता के गाये गानों में विविधता मिल जाएगी।
ये उनकी पहली पहली फिल्मों में से एक है। उनकी पहली रिलीज़ होने वाली फ़िल्म
थी पारसमणि, उस के संगीत से लक्ष्मी प्यारे एकदम चर्चा में आए। सती सावित्री एक
पौराणिक फ़िल्म थी और फ़िल्म के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। ये गीत भी कुछ ख़ास
संगीत प्रेमी ही सुना करते हैं। गीत के बोल लिखे हैं भरत व्यास ने।
गीत के बोल:
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
क्या तोड़ेंगे इस बंधन को
जग के तूफ़ान आंधी रे आंधी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
हो न सके कभी हम-तुम न्यारे
हो न सके कभी हम-तुम न्यारे
दो तन हैं इक प्राण हमारे
चाहे मिले पथ में अंधियारे
चाहे घिरे हों बादल कारे
फिर भी रहूंगी तुम्हारी, तुम्हारी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
जीवन डोर
यूँ घुल मिल रहना जीवन में
जैसे रहे कजरा अखियाँ में
तेरी छवि छाई रहे मन में
तेरा ही नाम रहे धड़कन में
तेरे दरस की मैं प्यासी रे प्यासी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
कैसा मुझे वरदान मिला है
कैसा मुझे वरदान मिला है
तुम क्या मिले भगवान् मिला है
अब तो जनम भर संग रहेगा
इस मेहंदी का रंग रहेगा
तेरे चरण की मैं दासी रे दासी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
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