धीरे धीरे सुबह हुई-हैसियत १९८४
फिल्म हैसियत से ये गीत लिया गया है। धुन बप्पी लहरी ने बनाई
है। गीत फिल्माया गया है जीतेंद्र पर। गीत में सुन्दर दृष्यावली का
प्रयोग किया गया है। बप्पी लहरी ने बांसुरी का बहुत सुन्दर प्रयोग
किया है अपने कई गीतों में। इस गीत की सुन्दरता बढ़ाने का का
काम भी बांसुरी कर रही है। बाकी के वाद्य यन्त्र भी बहुत नाप तौल
कर प्रयोग किये गए प्रतीत होते हैं। "प्यार का नाम जीवन है" का
सन्देश देता ये गीत प्रेरणादायक है।
गीत के बोल:
धीरे धीरे सुबह हुई जाग उठी ज़िंदगी
धीरे धीरे सुबह हुई जाग उठी ज़िंदगी
पंछी चले अम्बर को, अम्बर को, अम्बर को
माझी चले सागर को, सागर को, सागर को
प्यार का नाम जीवन है
मंज़िल है प्रीतम की गली
डूब के सूरज फिर निकला
सारे जहाँ को नूर मिला
दिल के द्वारे, तुमको पुकारे
एक नई ज़िंदगी,
डूब के सूरज फिर निकला
सारे जहाँ को नूर मिला
दिल के द्वारे, तुमको पुकारे
एक नई ज़िंदगी,
प्यार का नाम जीवन है
मंज़िल है प्रीतम की गली
धीरे धीरे सुबह हुई जाग उठी ज़िंदगी
आ, आ आ, आ आ
किरणों से दामन भर लो
प्रीत से तुम तन मन भर लो
जिसमें जितनी प्यास जगी
उतनी ही प्रीत मिली,
किरणों से दामन भर लो
प्रीत से तुम तन मन भर लो
जिसमें जितनी प्यास जगी
उतनी ही प्रीत मिली,
प्यार का नाम जीवन है
मंज़िल है प्रीतम की गली
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