तुम तो प्यार हो सजना-सेहरा १९६३
रेगिस्तान की रेतीली रातों में कितना आकर्षण है ये मैंने जैसलमेर
जाकर जाना। रातें ठंडी होती हैं और रेत पर घूमना एक अद्भुत
अनुभूति प्रदान करता है। संगीतकार रामलाल की इस धुन में
अतिरिक्त गहराई है और कोरस की आवाज़ उसके माधुर्य को बढ़ाने
का कार्य करती है । गीत लिखा है हसरत जयपुरी ने जिसे गाया है
लता मंगेशकर और रफ़ी ने। कश्मीर की पृष्ठभूमि वाली फिल्मों के
गीतों में आपको संतूर की ध्वनि ज़रूर मिल जाएगी। यहाँ ये इस्तेमाल
की गयी है रेगिस्तान में गाये जा रहे गीत में। जहाँ शांति को शांतिपूर्ण
ढंग से छेड़ना होता है, संतूर का प्रयोग उपयुक्त होता है।
गीत के बोल:
तुम तो
तुम तो प्यार हो सजना
तुम तो प्यार हो
मुझे तुमसे प्यारा और ना कोई
तुम तो प्यार हो सजना
तुम तो प्यार हो, सजनी
तुम तो प्यार हो
मुझे तुमसे प्यारा और ना कोई
तुम तो प्यार हो
कितना है प्यार हमसे इतना बता दो
अम्बर पे तारे जितने, इतना समझ लो
सच, मेरी कसम
तेरी कसम तेरी याद मुझे लुटे
कसमें तो खाने वाले होते हैं झूठे
चलो जाओ, हटो जाओ,
दिल का दामन छोडो
तुम तो प्यार हो, सजनी
तुम तो प्यार हो
मुझे तुमसे प्यारा और ना कोई
तुम तो प्यार हो
आ के ना जाए कभी, ऐसी बहार हो
तुम भी हमारे लिए जीवन सिंगार हो
सच, मेरी कसम
तेरी कसम तू है आँख के तिल में
तुम भी छुपी हो मेरे शीशा-ए-दिल में
ओ, मेरे हमदम
मेरे हमदम मेरी बात तो मानो
तुम तो प्यार हो, सजना
तुम तो प्यार हो
मुझे तुमसे प्यारा और ना कोई
तुम तो प्यार हो सजनी
तुम तो प्यार हो सजना
ओ सजनी
तुम तो प्यार हो
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