कहीं करती होगी(युगल)- फिर कब मिलोगी १९७४
घूमता हुआ गाना गा रहा है मानो उसकी प्रेमिका कोई polar bear हो
और किसी बर्फीले कुंड में छुपी बैठी हो । गाना है-"फिर कब मिलोगी"
फिल्म से। सफ़ेद जूते के साथ पतलून जो है वो थोडा पीलापन लिए है।
ज़रूरी भी था नहीं तो बर्फ और पतलून का फर्क करना मुश्किल हो
जाता। तभी कहीं से नायिका निकल के आती है । उसकी वेशभूषा देख
के लगता है पहाड़ पे बर्फ नहीं नमक बिछा हो। या तो निर्देशक ये
बतलाना चाहता है कि फिल्म की नायिका शुद्द घी और सूखे मेवे इतने
ज्यादा खाती है कि उसको सर्दी का प्रकोप बिलकुल भी नहीं सताता
या फिर, वो ये कहना चाहता है कि प्रेम में अँधा व्यक्ति मंदिर में नंगे
पैर जाये ना जाए, अपने प्रेमी/प्रेमिका को देख के पगलाया सा चल
पढता है। गोभी के फूल से जूडे से चोटी यूँ बाहर आ के हिल रही है
जैसे पेड़ की शाख पे बैठी बंदरिया की पूंछ हिला करती है। ऐसे लुभावने
अटैचमेंट आपको केवल हिंदी गीतों में ही देखने को मिलेंगे।
ऑडियो और विडियो के review में फर्क है। आज मैंने आपके लिए
विडियो का review पेश किया है। बहुत कन्फ्युज़ियाना लगता है रे.....
ये उन कुछ गीतों में से एक है जिनको मैं कई बार सुन लिया करता हूँ।
मुकेश के गाये इस गीत की तर्ज़ बनाई है आर डी बर्मन ने। गीत के
साथ इसका रीमिक्स भी प्रस्तुत है जो अनामिका ने गाया है। रीमिक्स
खासा लोकप्रिय हुआ था।
अनामिका द्वारा गाया हुआ रीमिक्स इधर है। इसमें छोटे बच्चे की हंसी
कि आवाज़ शामिल की गयी है इसलिए कानों को सुनने में थोडा
राहत वाला है। आजकल के रीमिक्स की तरह नहीं जिसमे-बू वू
ये ये ,वो वो, कद्दू बैंगन ,कटहल के नाम शामिल होते हैं जो कि
आपके दिमाग का दही-मिक्स ज्यादा बना डालते हैं।
गीत के बोल:
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेकरार
दूर जुल्फों की छाँव से
कहता हूँ ये हवाओं से
उसी बुत की अदाओं के
अफ़साने हज़ार
वो जो बाहों में मचल जाती
हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती
मिल जाता करार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेकरार
आ आ आ आ .......
हे, अरमान है कोई पास आये
इन हाथों में वो हाथ आये
फिर ख्वाबों की घटा छाये
बरसाए खुमार
फिर उन्ही दिन रातों से
मतवाली मुलाकातों से
उल्फत भरी बातों पे
हम होते निसार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेकरार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेकरार
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kahin karti gogi(duet)-Phir kab milogi 1974
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