Feb 11, 2010

तुम बिन जीवन कैसे बीता-अनिता १९६७

इस गीत को देखने मैं दूसरी बार सिनेमा हाल में गया था। राज खोसला
ने जितना बन सका अभिनेत्री साधना को खूबसूरत दिखने की कोशिश की
है अपनी फिल्मों में। इसमें भी जोगन के भेस में साधना सुन्दर दिखाई देती
हैं। उनके माथे पर पड़ती एक खड़ी लकीर मेरे लिए कुतूहल का विषय रही।
इस खड़ी लकीर का भेद मैंने बाद में जाना जब "body language" नाम के
विषय को जाने की कोशिश की। मुकेश की आवाज़ और बांसुरी की ये जुगलबंदी
तैयार की है लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने । जैसा कि आपने पाया होगा ये फिल्म भी
एक रहस्य वाला विषय है जो राज खोसला का प्रिय विषय रहा है। परदे पर
गीत गा रहे हैं मनोज कुमार ।



गीत के बोल:

तुम बिन जीवन कैसे बीता
पूछो मेरे दिल से
पूछो मेरे दिल से

तुम बिन जीवन कैसे बीता
पूछो मेरे दिल से
पूछो मेरे दिल से
पूछो मेरे दिल से, हाय
पूछो मेरे दिल से

सावन के दिन आये
बीती यादें लाये
कौन झुका कर ऑंखें
मुझको पास बिठाये
कैसा था प्यारा रूप तुम्हारा
पूछो मेरे दिल से
पूछो मेरे दिल से

तुम बिन जीवन कैसे बीता
पूछो मेरे दिल से, हाय
पूछो मेरे दिल से


प्रेम का सागर हाय
चरों तरफ लहराए
जितना आगे जाऊं
गहरा होता जाए
गम के भंवर में क्या क्या डूबा
पूछो मेरे दिल से
पूछो मेरे दिल से

तुम बिन जीवन कैसे बीता
पूछो मेरे दिल से, हाय
पूछो मेरे दिल से

जैसे जुगनू बन में
तू चमके अंसुवन में
बनकर फूल खिली हो
जाने किस बगियाँ में
मैं अपनी किस्मत पे रोया
पूछो मेरे दिल से, हाय
पूछो मेरे दिल से

तुम बिन जीवन कैसे बीता
पूछो मेरे दिल से, हाय
पूछो मेरे दिल से

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