जो छम से निकल गयी रात -इनाम दस हज़ार १९८७
बार इसको सिनेमा हॉल में सन १९८७ में देखा था। इसमें से जो गीत
सबसे ज्यादा पसंद मुझे लगता है वो है आशा भोंसले का गाया हुआ जो
खलनायक के अड्डे पर मीनाक्षी पर फिल्माया गया है।
अमरीश पुरी के सामने नाचती मीनाक्षी ने बहुत सारे आभूषण पहन रखे
हैं। किसी जौहरी ने सारे सैम्पल प्रदान किये होंगे फिल्म के निर्देशक को।
ये तो तय है कि निर्देशक मीनाक्षी का बड़ा भक्त होगा उसने बहुत तबियत
से इस गीत का फिल्मांकन किया है। काले पार्श्व में सफ़ेद वस्त्र पहने नाचती
नायिका। मीनाक्षी की छरहरी काया के सैकड़ों दीवाने हैं।
गीत के बोल:
जो छम से निकल गयी रात
जो छम से निकल गयी रात
वो फिर नहीं आने वाली
इस रात की सारी बात
कहे समझाने वाली
जो छम से निकल गयी रात
नहीं फिर आने वाली
इस रात की सारी बात
कहे समझाने वाली
ये गयी तो गयी
फिर नहीं आने वाली
जो छम से निकल गयी रात
नहीं फिर आने वाली
इस रात की सारी बात
कहे समझाने वाली
हो, आज तो बाज़ी होगी लगानी
आज तो बाज़ी होगी लगानी
कहती हूँ मैं ये पुकार
दाम तो होगा तुझको लगाना
दौलत हो चाहे प्यार
आ इधर तक कहीं ये नज़र है सवाली
जो छम से निकल गयी रात
जो छम से निकल गयी रात
नहीं फिर आने वाली
इस रात की सारी बात
कहे समझाने वाली
हो, कौन है असली कौन है नकली
हो, कौन है असली कौन है नकली
तेरी नज़र जाने
शक्ल किसी की छुप ना सकेगी
दिल से जो पहचाने
लाख परदे में भी है नज़र आने वाली
जो छम से निकल गयी रात
जो छम से निकल गयी रात
नहीं फिर आने वाली
इस रात की सारी बात
कहे समझाने वाली
हो, जान लिया तो फिर ये कदम क्यूँ
जान लिया तो फिर ये कदम क्यूँ
किसलिए रोका है ?
जो भी है करना कर ले मेरी जान
आखिरी मौका है
जानेमन ये घडी पल में है जाने वाली
जो छम से निकल गयी रात
जो छम से निकल गयी रात
नहीं फिर आने वाली
इस रात की सारी बात
कहे समझाने वाली
ये गयी तो गयी
फिर नहीं आने वाली
जो छम से निकल गयी रात
नहीं फिर आने वाली
नहीं फिर आने वाली
नहीं फिर आने वाली
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Jo chaam se nikal gayi raat-Inaam dus hazaar 1987
Artists: Meenakshi Sheshadri, Amrish Puri, Raza Murad, Sanjay Dutt, Sharad Saxena
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