मैं दिल हूँ एक अरमान भरा -अनहोनी १९५२
संगीतकार रोशन के संगीत सफ़र का एक मील का पत्थर फिल्म
है-अनहोनी जो १९५२ में आई थी। राज कपूर जो नायक हैं और पियानो
पर बैठे हैं तलत महमूद की आवाज़ में होंठ हिला रहे हैं। इस गीत को
तलत महमूद के सबसे मशहूर गीतों में गिना जाता है। गीत लिखा है
सत्येन्द्र अथैया ने । गीत में आपको नर्गिस और ओमप्रकाश नाम के
कलाकार भी दिखाई दे जायेंगे।
जैसे ग्रामीण परिवेश की फिल्मों में नायक का हल चलाना या बकरी
चराना ज़रूरी है वैसे ही शहरी परिवेश को दर्शाती फिल्मों में नायक का
पियानो बजाना ज़रूरी है। ये भी एक फार्मूला है फिल्मों का जिसका
सदुपयोग फिल्म निर्देशक समय समय पर बखूबी करते रहे हैं। गीत
उन दिनों का है जब राज कपूर केश तेल का भरपूर प्रयोग किया करते
थे जिससे उनके बाल काफी घने रहते थे जो गीत में स्पष्ट है।
गीत के बोल:
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
एक सागर हूँ ठहरा ठहरा
एक सागर हूँ ठहरा ठहरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
खुद मैंने हुस्न के हाथों में
शोखी का छलकता जाम दिया
गालों को गुलाबों का रुतबा
कलियों को लबों का नाम दिया,
नाम दिया
आँखों को दिया सागर गहरा
आँखों को दिया सागर गहरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
ये सच है तेरी महफ़िल में
ये सच है तेरी महफ़िल में
मेरे अफसाने कुछ भी नहीं
पर दिल की दौलत के आगे
दुनिया के खजाने कुछ भी नहीं
यूँ मुझसे निगाहों को ना चुरा
यूँ मुझसे निगाहों को ना चुरा
तू आ के मुझे पहचान ज़रा
मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
ये झिलमिल करते हुए दिए
ये झिलमिल करते हुए दिए
आखिर इक दिन बुझ जायेंगे
दौलत के नशे में डूबे हुए
ये राग रंग मिट जायेंगे
गूंजेगा मगर ये गीत मेरा
गूंजेगा मगर ये गीत मेरा
ये गीत मेरा
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