माटी कहे कुमार से-अधिकार १९५४
कितना सही कहा है मनुष्य के बारे में। इसके आगे की
पंक्तियाँ कुछ यूँ हैं-
देखत ही छुप जाएगा , ज्यों सारा परभात
ये कबीर वचनामृत है। उन्ही का एक दोहा और है-
माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे |
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूंगी तोहे
इस दोहे पर आधारित कुछ फ़िल्मी गीत और गैर फ़िल्मी गीत
मुझे बेहद पसंद हैं। आपके लिए पेश है अविनाश व्यास का
संगीत के संवारा एक गीत फिल्म अधिकार से जो सन १९५४ की
फिल्म है। इस गीत में मुख्य स्वर है शंकर दासगुप्ता का। आदमी की
औकात बतलाता ये गीत मेले के सारे तमाशे भी दिखलाता चलता है।
सुन्दर गीत की रचना के लिए अविनाश व्यास को शत शत नमन।
गीत के बोल:
माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे |
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूंगी तोहे
हरिओम, हरिओम
हरिओम, हरिओम
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
हे, दो दिन के जग के मेले में
आज रहे कल जाना
कल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
ए बाबूजी,बाबूजी,बाबूजी,बाबूजी,बाबूजी,बाबूजी,
ए बाबू टोपीवाला
ओ भैया पगड़ी वाला
ले लो ये मेरी कंठी माला रे
ले लो ये मेरी कंठी माला
ले लो ये मेरी कंठी माला रे
ले लो ये मेरी कंठी माला
मेरी माला में छिप जाए
सब गड़बड़ घोटाला
सेठ साहब को मिले सेठानी
और लल्ली को लाला
ओ बाबू टोपीवाला
ओ भैया पगड़ी वाला
हे, वही सुखी है जिसने प्यारे
फेरा मन का जाना
फेरा मन का जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
मेरा पान बनारस वाला
हल्का कत्था चूना
जी, हल्का कत्था चूना
जिसने खा ली एक गिलौरी
छैला बन गया जूना
ए जी, छैला बन गया जूना
सौंफ सुपारी ख़ुशबू ठंडक
काला पीला चूना
मोगा, मंडवा, मकई, बनारस
बंगला देसी, पूना
लोगे कौन नमूना बाबू
लोगे कौन नमूना
ओये, लोगे कौन नमूना बाबू
लोगे कौन नमूना
हे हे हे हे हे हे हे हे
भांति भांति के लोग लगाते
डेरा नया पुराना
डेरा नया पुराना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
हे, चले आओ,चले आओ चले आओ चले आओ
चके वाले चले आओ
रूपये वाले चले आओ
पैसे वाले चले आओ
मेरी प्यारी दुकान सबसे न्यारी दुकान
मेरी प्यारी दुकान सबसे न्यारी दुकान
देखो देखो नाच रहा है
ये अलबेला बन्दर
ये अलबेला बन्दर
जाने किसी का जीव समाया
कठपुतली के अन्दर
कठपुतली के अन्दर
नाचे राजा, ओ नाचे रानी
नाचे मस्त कलंदर
हे हे हे हे हे हे हे हे
नचा रहा है नचाने वाला
सबको नाच लुभावना
सबको नाच लुभावना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना
हे हे हे हे
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
माटी में मिल जाना रे भाई
माटी में मिल जाना
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Maati kahe kumhar se-Adhikar 1954
Artist: Unknown
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