Mar 4, 2010

ए मेरे दिल-ए-नादान-टॉवर हाउस १९६२

सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ हिंदी फ़िल्मी गीतों में से एक आज आपके लिए
प्रस्तुत है। संगीतकार रवि की इस अविस्मर्णीय धुन के बहुत
से दीवाने हैं। ठन्डे हवा के झोंके सा असर करता ये गीत आप जब
भी सुनेंगे मन में शांति की अनुभूति होगी। थोडा उपदेश इस गीत
की पंक्तियों में भी आपको मिलेगा। भूटिया प्रष्ठभूमि की फिल्मों से
कुछ ही गीत चर्चित हुए हैं। चर्चित हुए तो ऐसे हुए की हर तरफ छ
गए। याद कीजिये महल का गीत-आएगा आने वाला। महल का गीत
शायद कद में काफी बड़ा है। ये गीत अभिनेत्री शकीला पर फिल्माया
गया है। संगीतकार रवि की यह धुन मानो दैवीय स्पर्श से होके गुजर
रही हो, मालूम पढता है। गीतकार असद भोपाली को शायद ही कोई याद
करता है, सिवा उनके प्रशंसकों के। ये गीत उन्हीं का लिखा हुआ है और
उनका सबसे चर्चित गीत भी है। इस गीत की पंक्तियाँ हैं-"अपना भी घडी
भर में बन जाता है बेगाना" इसका बहुत अच्छा अनुभव मुझे जीवन में
हो चुका है।



गीत के बोल:

ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना
इक दिन तो समझ लेगी दुनिया तेरा अफसाना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना

अरमान भरे दिल में ज़ख्मों को जगह दे दे
अरमान भरे दिल में ज़ख्मों को जगह दे दे
भड़के हुए शोलों को कुछ और हवा दे दे
बनती है तो बन जाए यह ज़िन्दगी अफसाना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना

ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना
इक दिन तो समझ लेगी दुनिया तेरा अफसाना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना

फरियाद से क्या हासिल रोने से नतीजा क्या
फरियाद से क्या हासिल रोने से नतीजा क्या
बेकार है यह बातें इन बातों से होगा क्या
अपना भी घडी भर में बन जाता है बेगाना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना

ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना
इक दिन तो समझ लेगी दुनिया तेरा अफसाना
ए मेरे दिल-ए-नादाँ तू ग़म से न घबराना
.......................................
Ae mere dil-enadaan-Tower House 1962

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