चला है कहाँ-संजोग १९६१
कुछ गीत स्वतः दिमाग में कौंध जाते हैं। ऐसा ही एक गीत है
जो मुझे सदा से आकर्षित करता रहा। कुछ विशेष वजह होगी इसकी,
मुझे चल, चला, चला है, इत्यादि शब्द वाले गाने ज्यादा ध्यान में
आते हैं। उसके अलावा जो गीत थोड़ी ऊंची पट्टी पर गाये गए होते
हैं वो दिमाग के किसी कोने में ज़रूर अपना स्थान बना लेते हैं।
ये प्रश्नवाचक गीत है फिल्म संजोग से जिसमे अभिनेत्री अनीता गुहा
नायक प्रदीप कुमार से संगीतमय प्रश्न पूछ रही हैं । गीत राजेंद्र कृष्ण
का लिखा हुआ है और धुन है मदन मोहन की। फिल्म के ३ गीतों पर
हम पहले चर्चा कर चुके हैं। आइये इस मधुर गीत का आनंद उठायें ।
गीत के बोल:
चला है कहाँ
चला है कहाँ
दुनिया इधर है तेरी
प्यार इधर है तेरा
आ जा हो, आ जा, हो, आ जा,
चला है कहाँ
दुनिया इधर है तेरी
प्यार इधर है तेरा
आ जा हो, आ जा, हो, आ जा,
चला है कहाँ
अँखियाँ मेरी सपने तेरे, हो हो
देख ज़रा ओ साथी मेरे, हो हो
दिल दीवाना तुझे पुकारे
करे इशारे ना जा
चला है कहाँ
दुनिया इधर है तेरी
प्यार इधर है तेरा
आ जा हो, आ जा, हो, आ जा,
चला है कहाँ
आ, आ, हा हा, आ आ आ
हा हा, आ आ आ आ
सावन भी आनेवाला है, हो हो
रंग नया लानेवाला है हो ओ
रुत अलबेली मुझे अकेली
देख सहेली ना जा
चला है कहाँ
दुनिया इधर है तेरी
प्यार इधर है तेरा
आ जा हो, आ जा, हो, आ जा,
चला है कहाँ
फूल बनी है कली अभी तो हो ओ
बनायें है दिल की गली अभी तो हो ओ
अभी अभी तो पायल मेरी बाजी
छम छम ..... ना जा
चला है कहाँ
दुनिया इधर है तेरी
प्यार इधर है तेरा
आ जा हो, आ जा, हो, आ जा,
चला है कहाँ
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