रघुवर तुमको मेरी लाज -अनकही १९८५
अलौकिक गायकी का प्रभाव ह्रदय के पोर पोर को आनंद से सराबोर
कर देता है। फिल्म संगीत में समय समय पर शास्त्रीय संगीत के
दिग्गजों ने अपनी छाप छोड़ी है। महानतम गायकों में से एक भीमसेन जोशी
के एक भजन का आनंद लीजिये जो फिल्म अनकही के लिए गया गया है ।
भीमसेन जोशी की आवाज़ में ईश्वरीय चुम्बक है जिसका अनुभव आपको उनकी
रचनाएँ और गायकी को गौर से सुनने के बाद महसूस होती है।
संत तुलसीदास की रचना को संगीतबद्ध किया है जयदेव ने । जयदेव फिल्म
संगीत में शुद्धता बरकरार रखने के लिए जाने जाते हैं।
गीत के बोल:
रघुवर तुम को मेरी लाज
सदा सदा मैं शरण टिहरी तुमहो गरीब निवाज
रघुवर तुम हो तुमहो गरीब निवाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
पतित उद्धारण विरद तिहारो श्रवनन सुनी आवाज
पतित उद्धारण विरद तिहारो श्रवनन सुनी आवाज
हूँ तो पतित पुरातन करिए
हूँ तो पतित पुरातन करिए
हूँ तो पतित पुरातन करिए पार उतारो जहाज
रघुवर पार उतारो जहाज
रघुवर पार उतारो जहाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
अघ खंडन दुःख भंजन जन के
अघ खंडन दुःख भंजन जन के यही तिहारो काज
अघ खंडन दुःख भंजन जन के
अघ खंडन दुःख भंजन जन के यही तिहारो काज
रघुवर यही तिहारो काज
तुलसीदास पर किरपा कीजे भक्ति दान देहु आज
तुलसीदास पर किरपा कीजे
तुलसीदास पर, हा आ आ
तुलसीदास पर किरपा कीजे
तुलसीदास पर किरपा कीजे
तुलसीदास पर किरपा कीजे भक्ति दान देहु आज
रघुवर भक्ति दान देहु आज
रघुवर तुम को मेरी लाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
सदा सदा मैं शरण तिहारी
सदा सदा मैं शरण तिहारी
सदा सदा मैं शरण तिहारी तुम हो गरीब निवाज
रघुवर तुमहो गरीब निवाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
रघुवर तुम को मेरी लाज
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