May 1, 2010

प्रेम के पुजारी हम है-प्रेम पुजारी १९७०

अलौकिक गायकी के कई महारथी हिंदी फिल्म जगत ने
देखे हैं। कहा जाता है कि संगीतकार को अगर स्वयं कोई
गीत गाना होता है तो वो सबसे उम्दा धुन अपने लिए
बचा के रखता है। कम से कम प्रेम पुजारी के इस गीत
को सुनने के बाद तो यही समझ आया मुझे।

हालाँकि इस बात पर मतभेद हैं, कोई किशोर के गाये गीत
को सर्वश्रेष्ठ बताने पर अड़ा हुआ है तो कोई लता के गाये गीत
को बेहतरीन मानता है। सचिन देव बर्मन की आवाज़ के मुरीद
ही शायद मेरे पक्ष में होंगे ।

तो सुनिए नीरज का लिखा हुआ और सचिन देव बर्मन का
संगीतबद्ध किया ये दर्शंवादी गीत(philosophical का
शायद हिंदी में यही अनुवाद होना चाहिए) । फिल्म में ये
गीत बेकग्राउंड में बजता है । फिल्म का शीर्षक गीत फिल्म के
विवरण के साथ ही बजता मिलता है।



गीत के बोल:

आ आ, आ आ आ आ आ
प्रेम के पुजारी
प्रेम के पुजारी हम हैं
रस के भिखारी हम हैं प्रेम के पुजारी
हो हो हो, प्रेम के पुजारी

कहाँ रे हिमालय ऐसा कहाँ ऐसा पानी
यहीं वो ज़मीन जिसकी दुनिया दीवानी
कहाँ रे हिमालय ऐसा कहाँ ऐसा पानी
यहीं वो ज़मीन जिसकी दुनिया दीवानी
सुंदरी ना कोई जैसी है धरती हमारी

प्रेम के पुजारी
प्रेम के पुजारी हम हैं
रस के भिखारी हम हैं प्रेम के पुजारी
हो हो हो , प्रेम के पुजारी

राजा गए
हाय राजा गए ताज गए बदला जहाँ सारा
रोज़ मगर बढ़ता जाए कारवां हमारा
राजा गए ताज गए बदला जहाँ सारा
रोज़ मगर बढ़ता जाए कारवां हमारा
फूल हम हजारों लेकिन ख़ुशबू एक हमारी
प्रेम के पूजारी
प्रेम के पुजारी हम हैं
रस के भिखारी हम हैं प्रेम के पुजारी
हो हो हो , प्रेम के पुजारी
प्रेम के पुजारी
प्रेम के पुजारी

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