शोखियों में घोला जाए-प्रेम पुजारी १९७०
फिल्म प्रेम पुजारी का जो गीत मुझे शीर्षक गीत का बाद सबसे
ज्यादा लुभाता है वो है-युगल गीत लता और किशोर की आवाज़ में।
गीत फिल्माया गया है वहीदा रहमान और देव आनंद पर। गीत की
विशेषता है की सूखी घास के रंग के अलावा आपको नायक नायिका
के लाल रंग के परिधान नज़र आयेंगे। गीत में ध्यान भटकाने का
सामान कम है। नीरज ने जितनी तबियत से इसको लिखा है उतनी ही बढ़िया
धुन इस गीत की तैयार की है एस डी बर्मन ने। अब गीत पहले लिखा
गया हो या धुन पहले बनी हो, end result बढ़िया है। ऐसे गीतों को हम
कहते हैं-timeless melody । गाने की बस एक चीज़ अटपटी है वो
है देव आनंद के हाथ में मछली मारने का यन्त्र जिसका रेगिस्तान में कोई
काम समझ नहीं पढता। हो सकता है साढ़े पांच फीट की मछली के लिए
इसको प्रतीक स्वरुप इस्तेमाल किया गया हो।
अरे अरे .............नहीं, ये तो तितली पकड़ने वाला यन्त्र है। दूसरे अंतरे के
बाद उसमे से तितलियाँ उडती नज़र आएँगी और मैदान की घास भी हरी हरी
नज़र आएगी। कहते हैं सावन के अंधे को हरा हरा ही दिखाई देता है तो इश्क
के मारों के बारे में क्या राय है ?
अँधेरे से उजाले की ओर कहिये या सूखे से हरियाली की ओर।
गीत के बोल:
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
उसमे फिर मिलायी जाए थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
उसमे फिर मिलायी जाए थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार है
हे हे हे हे हे हे हा हे
हँसता हुआ बचपन वो बहता हुआ मौसम है
छेड़ो तो एक शोला है छू लो तो बस शबनम है
हँसता हुआ बचपन वो बहता हुआ मौसम है
छेड़ो तो एक शोला है छू लो तो बस शबनम है
गाँव में मेले में, राह में अकेले में
आता जो याद बार बार वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
उसमे फिर मिलायी जाए थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ला ला ला ला ला ला ला , आ आ आ
रंग में पिघले सोना अंग से यूँ रस छलके
जैसे बजे धुन कोई रात में हलके हलके
रंग में पिघले सोना अंग से यूँ रस छलके
जैसे बजे धुन कोई रात में हलके हलके
धूप में छांव में, घूमती हवाओं में
हर दम जो करे इंतज़ार वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
उसमे फिर मिलायी जाए थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार.......
याद अगर वो आये,
हो ओ ओ ओ ओ ओ
याद अगर वो आये, ऐसे कटे तन्हाई
सूने शहर में जैसे बजने लगे शहनाई
याद अगर वो आये, ऐसे कटे तन्हाई
सूने शहर में जैसे बजने लगे शहनाई
आना हो जाना हो कैसा भी ज़माना हो
उतरे कभी ना जो खुमार वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
उसमे फिर मिलायी जाए थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब
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