हर चेहरा यहाँ चाँद-आबरू १९६८
फिल्म आबरू के २ गीत हम पहले सुन चुके हैं। आइये अब तीसरा गीत
सुना जाए। रफ़ी का गाया हुआ ये गीत लिखा है जी एल रावल ने । धुन
है सोनिक-ओमी की। जब आप किसी भी चेहरे को ना पहचानें तो साहब
विडियो गीत को डॉक्युमेंट्री समझ के देख लीजिये। समझ लीजिये कश्मीर
के पर्यटन वालों ने एक डॉक्युमेंट्री बनाई है। कमेंट्री की जगह रफ़ी का गीत
बज रहा है। वैसे मैं बता दूं संजय खान और धीरज कुमार के चेहरों के मिश्रण
वाले चेहरे के मालिक इन जनाब का नाम दीपक कुमार है और जो रोतला सा
सुन्दर चेहरा आपको दिखाई देगा वो नायिका विम्मी का है। जी हाँ वही फिल्म
हमराज़ वाली।
गीत के बोल:
हर चेहरा यहाँ चाँद
हर चेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा
हर चेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा
ये वादी-ए-कश्मीर है जन्नत का नज़ारा
जन्नत का नज़ारा
हर चेहरा यहाँ चाँद
हंसती हैं जो कलियाँ तो हसीं फूल हैं खिलते
हंसती हैं जो कलियाँ तो हसीं फूल हैं खिलते
हैं लोग यहाँ जैसे उतर आये फ़रिश्ते
हो ओ हो ओ ओ ओ
हर दिल से निकलती है यहाँ प्यार की धारा
हर दिल से निकलती है यहाँ प्यार की धारा
ये वादी-ए-कश्मीर है जन्नत का नज़ारा
जन्नत का नज़ारा
हर चेहरा यहाँ चाँद
दिन रात हवा साज़ बजाती है सुहाने
दिन रात हवा साज़ बजाती है सुहाने
नदियों के लबों पर हैं मुहब्बत के तराने
हो ओ हो ओ ओ ओ
मस्ती में है डूबा हुआ बेहोश किनारा
मस्ती में है डूबा हुआ बेहोश किनारा
ये वादी-ए-कश्मीर है जन्नत का नज़ारा
जन्नत का नज़ारा
हर चेहरा यहाँ चाँद
ये जलवा-ए-रंगीं है किसी ख्वाब की ताबीर
ये जलवा-ए-रंगीं है किसी ख्वाब की ताबीर
या फूलों में बैठी हुई दुल्हन की है तस्वीर
हो ओ हो ओ ओ ओ
या थम गया चलता हुआ परियों का शिकारा
या थम गया चलता हुआ परियों का शिकारा
ये वादी-ए-कश्मीर है जन्नत का नज़ारा
जन्नत का नज़ारा
हर चेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा
हर चेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा
ये वादी-ए-कश्मीर है जन्नत का नज़ारा
जन्नत का नज़ारा
हर चेहरा यहाँ चाँद
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