यही वो जगह है-ये रात फिर ना आएगी १९६६
सब कुछ अलग हटके है इस गीत के साथ। अभी तक हिंदी फिल्मों में
भूतिया दृश्यों या भूतिया अभिनेत्रियों के लिए जनता को लता मंगेशकर की
आवाज़ सुनाई देती थी। इस फिल्म से समीकरण बदले। हालाँकि इससे पहले
भी कुछ और गायिकाओं ने भूतिया फिल्मों के लिए गीत गाये थे मगर लता के
गाये गीतों के अलावा किसी का गाया गीत सुनाई नहीं दिया । आशा भोंसले की
आवाज़ शर्मिला टेगोर के लिए भी कुछ नया सा अनुभव था जनता के लिए।
१९६६ में ही आई फिल्म देवर में शर्मिला के लिए आपको लता की आवाज़ सुनाई
पड़ेगी। देवर में रोशन का संगीत है। अब ओ पी नय्यर का संगीत होगा फिल्म में
तो गीत आशा की आवाज़ में ही सुनाई देगा ना। कुछ भी हो गीत के बोल और धुन
दोनों बढ़िया हैं। शम्सुल हुदा बिहारी ने गीत लिखा है।
अभिनेत्री के सर पर बालों की चोटी और समीप ही पहाड़ की चोटी में कुछ समानता
सी है। गीत का फिल्मांकन बढ़िया है और उसमे ज्यादा चुटकी लेने की गुंजाईश नहीं है।
विडियो में केवल एक अंतरा दिखाई देगा आपको लेकिन मैंने गीत के पूरे बोल इधर
आपकी सुविधा/दुविधा के लिए दे दिए हैं।
गीत के बोल:
यही वो जगह है, यही वो फ़िज़ा है
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
यही वो जगह है, यही वो फ़िज़ा है
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
इन्हें हम भला किस तरह भूल जायें
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
यही वो जगह है
यहीं पर मेरा हाथ में हाथ लेकर
कभी ना बिछड़ने का वादा किया था
सदा के लिये हो गए हम तुम्हारे
गले से लगा कर हमें ये कहा था
कभी कम ना होंगी हमारी वफ़ाएं
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
यही वो जगह है
यहीं पर वफ़ा का नया रंग भर के
बनाई थी चाहत की तसवीर तुमने
यहीं की बहारों से फूलों को चुन कर
संवारी थी उलफ़त की तक़दीर तुमने
वो दिल आपको याद कैसे दिलाये
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
यही वो जगह है
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