सारे ज़माने से-आप आये बाहर आई १९७१
राजेंद्र कुमार जब श्वेत श्याम से रंगीन युग में आये तो कुछ ज्यादा
ही रंगीन नज़र आये फिल्मों में। उनके कपडे देखने लायक होते ।
किसी किसी गीत में लगता जैसे वो देव आनंद से कॉम्पीटीशन
कर रहे हों। ये गीत है फिल्म आप आये बाहर आई से जो कि एक
हिट फिल्म है। इसके गीत खूब बजे और आज हिमेश रेशमिया
के दौर में भी सुनाई दे जाते हैं। राजेंद्र कुमार के साथ साधना हैं जो
द्रश्यवाली के साथ साथ गीत की सुन्दरता बढ़ा रही हैं। ये गीत रफ़ी के
गाये तेज़ गति वाले गीतों में से एक है। इसको गुनगुनाना आसान नहीं है ।
गीत लिखा है आनंद बक्षी ने और धुन है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की
फिल्म के निर्देशक मोहन कुमार हैं जिनकी फ़िल्में संगीतमय हुआ करती हैं।
उनकी अधिकतर फिल्मों में गाने भी थोक के भाव में मिलते हैं।
गीत के बोल:
सारे ज़माने पे, मौसम सुहाने पे
इस दिल दीवाने पे, वीरानी सी थी छाई
आप आये बाहर आई
हो हो हो ओ ओ
सारे ज़माने पे मौसम सुहाने पे
इस दिल दीवाने पे वीरानी सी थी छाई
आप आये बाहर आई
हो हो हो ओ ओ
आपका ही था सबको इंतज़ार
आपका ही था सबको इंतज़ार
आपके लिए सब थे बेकरार
हवाएं घटायें फिजायें
बागों में फूलों ने झूलों ने
ली झूम के अंगडाई
आप आये बाहर आई
हो हो हो ओ ओ
सारे ज़माने पे मौसम सुहाने पे
इस दिल दीवाने पे वीरानी सी थी छाई
हो हो हो ओ ओ
आपने किया आ के एहसान
आपने किया आ के एहसान
था ये वीराना अब है गुलिस्तान
पुकारें नज़ारे ये सारे
गुलशन की गलियों से कलियों से
सुनिए आवाज़ ये आई
आप आये बहार आई
हो हो हो ओ ओ
सारे ज़माने पे मौसम सुहाने पे
इस दिल दीवाने पे वीरानी सी थी छाई
आप आये बाहर आई
हो हो हो ओ ओ
आ आ आ आ आ
हो हो ओ ओ ओ
लीजिये ना बस अब जाने का नाम
लीजिये ना बस अब जाने का नाम
रूठ जायेंगे जलवे ये तमाम
ये बस्ती ये मस्ती ये हस्ती
ऐसा ना हो जाए, बन जाए
ये महफ़िल फिर तन्हाई
आप आये बहार आई
हो हो हो ओ ओ
सारे ज़माने पे मौसम सुहाने पे
इस दिल दीवाने पे वीरानी सी थी छाई
आप आये बाहर आई
हो हो हो ओ ओ
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