ये रात भी जा रही है-सौ साल बाद १९६६
मधुर गीतों की बौछार को निरंतर बनाते हुए एक दुर्लभ और मधुर गीत
पेश है। सन १९९६ की फिल्म सौ साल बाद से इसे लिया गया है। इसका विडियो
उपलब्ध नहीं है। किसी बन्धु ने इसका ऑडियो डाला है उसे धन्यवाद्। इस फिल्म में
कुमकुम नायिका की भूमिका में हैं। कुमकुम ने कुछ भूतिया फिल्मों में अभिनय किया
है। गीत की तर्ज़ से आप अनुमान लगा सकते हैं की कोई आत्मा इसे गुनगुना रही होगी
परदे पर। आनंद बक्षी के लिखे गीत को तर्ज़ में बंधा है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। उनको
एक मधुर धुन बनाने के लिए कोटिशः धन्यवाद्। आवाज़ किसकी है शायद ये बताने
की ज़रुरत नहीं है........
गीत के बोल:
ये रात भी जा रही है
के गम की घटा छा रही है
मेरे हमदम तू नहीं आया
ये रात भी जा रही है
जा रही है जा रही है
नहीं जिस तरफ कोई भी मंजिल
उसी राह पे चल रही हूँ
तेरी याद में ओ सितमगर
शमा की तरह जल रही हूँ
जल रही हूँ
शम्मा बुझी जा रही है
मेरे हमदम तू नहीं आया
आ हा हो ओ ओ हा आ आ आ
आ जा
कोई दुश्मनी आसमान की
मोहब्बत की हर दास्तान से
कहीं ये ना हो कि तू आये
चले जाएँ हम इस जहाँ से
इस जहाँ से
होंठों पे जान आ रही है
मेरे हमदम तू नहीं आया
ये रात भी जा रही है
जा रही है जा रही है जा रही है
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