घूंघट की आड़ से दिलवर का-हम हैं राही प्यार के १९९३
हैं और उसकी आँखों ढकी हुई सी प्रतीत होती हैं। कुछ लोग उसको
घूंघट वाला कुत्ता कहते हैं। उसके हाव भावों से ऐसा लगता है
मानों वो टेडी टेडी नज़र से देखने की कोशिश कर रहा हो। जैसे काला
चश्मा लगाये व्यक्ति के हाव भाव जान पाना मुश्किल होता है वैसे
ही इस कुत्ते का मूड पता लगा पाना आसान नहीं है।
घूंघट से एक गीत याद आया। या यूँ कहिये घूंघट वाले कुत्ते के नाम
से ये गीत याद आया। ये गीत एक थोड़ी नयी फिल्म का है।
फिल्म का नाम है-हम हैं राही प्यार के। इसे फिल्माया गया है
जूही चावला और आमिर खान पर। बोल समीर के हैं और धुन बनायीं
है नदीम श्रवण ने। गीत खासा लोकप्रिय गीत है।
गीत के बोल:
घूंघट की आढ़ से दिलबर का
दीदार अधूरा रहता है
जब तक न पड़े आशिक की नज़र
सिंगार अधुरा रहता है
घूंघट की आढ़ से दिलबर का
घूंघट की आढ़ से दिलबर का
दीदार अधूरा रहता है
जब तक न मिले नज़रों से नज़र
इकरार अधूरा रहता है
घूंघट की आढ़ से दिलबर का
दिलबर का, दिलबर का, दिलबर का
गोरे मुखड़े से घूँघटा हटाने दे
घडी अपने मिलन की तो आने दे
मेरे दिल पे नहीं मेरा काबू है
कुछ नहीं ये तो चाहत का जादू है
बढती ही जाती है सनम प्यार की ये बेखुदी, हो
दो प्रेमियों के न मिलने से
संसार अधूरा रहता है
जब तक न मिले नज़रों से नज़र
इकरार अधूरा रहता है
घूंघट की आढ़ से दिलबर का
दिलबर का, दिलबर का, दिलबर का
बाग़ में गुल का खिलना ज़रूरी है
हाँ मोहब्बत में मिलना ज़रूरी है
पास आने का अच्छा बहाना है
क्या करूँ मैं कि मौसम दीवाना है
दिल मेरा धड़काने लगी अब तो ये दीवानगी हो
बिना किसी यार के जान-इ-जान
ये प्यार अधूरा रहता है
जब तक न मिले नज़रों से नज़र
इकरार अधूरा रहता है
घूंघट की आढ़ से दिलबर का
दिलबर का दिलबर का दिलबर का
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Ghoonghat ki aad se dilvar ka-Ham hain rahi pyar ke 1993
Artists - Aamir Khan, Juhi Chawla
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