तुम साथ हो-शीशे का घर १९८४
है ऐसा कुछ पुराने गीतों के प्रेमी मानते हैं और नहीं भी मानते हैं। ये
गीत उनके मधुर गीतों की गिनती में आता है। फुल बंगाली ख़ुशबू
वाला ये गीत गाया भी है एक बंगाली कलाकार ने। गायक का नाम है
अनूप घोषाल जिन्होंने उँगलियों पर गिनने लायक ही गीत गाये हैं हिंदी
फिल्मों में। उनकी आवाज़ की विशेषता है हलकी सी खनक। कुछ भी
हो अधिकतर बंगाली गायक या तो हेमंत कुमार की याद दिलाते हैं या
फिर किशोर कुमार की। इस समानता वाले विषय पर पी. एच. डी. की
जा सकती है। फिल्म का नाम शीशे का घर है और ये शायद ही आपने
देखी हो। गीत अलबत्ता मधुर है और इसके लिए बप्पी लहरी को दिल
से धन्यवाद्। गीत फिल्माया गया है राज बब्बर और पद्मिनी कोल्हापुरे
पर। मूच्छी वाले राज बब्बर को आपने कितनी फिल्मों में देखा है ??
गीत में बस एक ही बात खाताक्ति है वो है ज़िन्दगी शब्द का ज्यादा
इस्तेमाल। बप्पी लहरी ने शायद ही कभी भी गीतकार की तुकबंदी या
कलाकारी में दखल दिया हो। पुराने संगीतकार कभी कभार फेरबदल
करवा लिया करते थे। श: श: श: फिल्म का नाम शीशे का घर है ,
जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों के घर पे पत्थर नहीं फेंका करते ..
जिनके ब्लॉग अंग्रेजी के हों और हिंदी फिल्म पर आधारित हों वो
हिंदी के ब्लॉग से आइडिया कोपी नहीं किया करते, सही कहा न !
गीत के बोल:
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
तुम साथ रहना
ज़िन्दगी ज़िन्दगी भर
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
तुम साथ रहना
ज़िन्दगी ज़िन्दगी भर
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
कुछ मेरे रंग हों कुछ तेरी सरगम
फिर क्या ख़ुशी क्या गम
सबसे अलग है सबसे जुदा
तेरा मेरा संगम
हो, कुछ मेरे रंग हों कुछ तेरी सरगम
फिर क्या ख़ुशी क्या गम
सबसे अलग है सबसे जुदा
तेरा मेरा संगम
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
तुम साथ रहना
ज़िन्दगी ज़िन्दगी भर
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
तुम हो सुबह मैं पहली किरण
मन से बंधा है मन
दूर भी हो तो
दूर नहीं हैं
इतने पास हैं हम
हो,
तुम हो सुबह मैं पहली किरण
मन से बंधा है मन
दूर भी हो तो
दूर नहीं हैं
इतने पास हैं हम
तुम साथ हो
ज़िन्दगी भर के लिए
तुम साथ रहना
ज़िन्दगी ज़िन्दगी भर
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Tum saath ho-Sheeshe ka ghar 1984
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