पायली चुनमुन चुनमुन-विरासत १९९७
प्रियदर्शन की कई खूबियाँ हैं। उनका फिल्मांकन हरे
चश्मे से होता है। हरे चश्मे से मतलब उनके द्वारा दिखाए
जाने वाले दृश्य दर्शक को सुन्दर और लुभावने दिखाई देते हैं।
उदाहरण के लिए ये गीत प्रस्तुत है जिसमे भी थोडा शोरगुल
मौजूद है लेकिन नायिका को उन्होंने उसकी कल्पना से कहीं
अधिक सुन्दर बना दिया है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ये
पोस्ट- तारे हैं बाराती-विरासत १९९७
आइये अब विरासत के दूसरे गीत पर बात छेड़ी जाए जिसे
थोडा अलग हट के दिखने का भरसक प्रयत्न किया गया है।
इसकी ध्वनियाँ दक्षिण भारतीय प्रतीत होती हैं मगर बोल
उत्तर भारतीय हैं। इसी को तो हम कह सकते हैं गंगा-जमुना
का संगम।
गीत में तब्बू भी मौजूद हैं जो अभिनय के मामले में इस फिल्म
के नायक , सहनायक, सहनायिकाओं पर भारी पढ़ती हैं।
उनके चेहरे के भाव ऐसे हैं जैसे नर्सरी की क्लास का कोई बच्चा
"क का कि की" बोलना सीख रहा हो। थोड़ी देर बाद वाले भाव
ऐसे हैं जैसे कोई पड़ोस के सीट पर बैठा बच्चा उनके हाथ पर
बैठ गया हो। कहते हैं चेहरे पर भाव लाने में चेहरे की बनावट
और तीखे नाक नक्श सहायक होते हैं। साधारण से चेहरे मोहरे
वाली तब्बू पर ये बात लागू नहीं होती। उनको अभिनय क्षमता
शायद विरासत में मिली हुई है । गीत लिखा है जावेद अख्तर ने
और धुन तैयार की है अन्नू मालिक ने। इसको गया है कुमार सानू
और चित्रा ने।
गीत के बोल:
पायली चुनमुन चुनमुन
झांझरी रुनझुन रुनझुन
पायलें छुनमुन छुनमुन
झाँझरें रुनझुन रुनझुन
कितना मधुर है ये मिलन
छन छनन छन चूड़ी बोले
सन सनन सन पुरवा डोले
गूंजे ये धरती और गगन
पायलें छुनमुन छुनमुन
झाँझरें रुनझुन रुनझुन
कितना मधुर है ये मिलन
कभी चलती हो छम छम
कभी चलती हो थम थम
धड़कता दिल है धम धम
जो प्यार में
आ आ
नदी बहती है झर झर
आ आ आ
हवा कहती है सर सर
आ आ आ आ
है फैली बात घर घर
आ आ
बेकार में
आ आ
गोरिया गाये गुन गुन
साजना झूमे सुन सुन
प्यार में खोये है ये मन
पायलें छुनमुन छुनमुन
झाँझरें रुनझुन रुनझुन
कितना मधुर है ये मिलन
ये बैयाँ गोरी गोरी
मैं थामू चोरी चोरी
ज़रा सुन ओ री ओ री, सुन तो ज़रा
आ आ
रहे तू मेहेकी मेहेकी
आ आ आ
चले तू बहकी बहकी
आ आ आ आ
लगे तू लहकी लहकी
आ आ आ
सुन थो सदा
आ आ
लाऊं मैं कलियाँ चुन चुन
बाजे एक तारा थुन थुन
दोनों ही सुनके हों मगन
पायलें छुनमुन छुनमुन
झाँझरें रुनझुन रुनझुन
कितना मधुर है ये मिलन
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Payli chunmun chunmun-Virasat 1997
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