काली तेरी चोटी- बहार आने तक १९९०
जैसा कि मेरे एक सिने-प्रेमी मित्र ने सुझाया था। सिनेमा हाल से बाहर
आने तक या एक्टिंग का ज्वार कलाकारों के बाहर आने तक। मजमून
समझ नहीं आया।
खैर इस गीत पर चर्चा की जाए। गीत में आपको एक नया सा चेहरा दिखाई
देगा -तारिक शाह। तारिक दिलीप कुमार के दूर के रिश्तेदार हैं। तारिक शाह
की प्रतिभा के बारे में शायद ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार को कुछ पक्का सा
यकीन हुआ और उन्होंने तारिक को बंबई आने की सलाह दे डाली (उस समय
मुंबई का नाम बंबई हुआ करता था) । फिल्म बाहर आने तक का निर्देशन
भी किया है तारिक ने. इसके बाद वे केवल २-३ फिल्मों में नज़र आये। उनके
अलावा इस फिल्म में सुमित सहगल नायक और रूपा गांगुली नायिका की
भूमिकाओं में हैं। रूपा गांगुली के नाम से श्रोता और पाठक अवश्य ही वाकिफ
होंगे , रूपा ने महाभारत टेले-सीरियल में द्रौपदी की भूमिका निभाई थी।
सुमित सहगल का बतौर नायक रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं है।
ये गीत एक पंजाबी लोक गीत पर आधारित है। यूँ कहिये-इन्सपायर्ड जिस
शब्द का इस्तेमाल हम फिल्म संगीत पर चर्चा करते समय इस्तेमाल करते
हैं। बॉलीवुड का एक अपना शब्द कोष बनाये जाने की जरूरत है जिसमे इसी
प्रकार के बार बार इस्तेमाल आये जाने वाले शब्दों का समावेश हो।
गीत कर्णप्रिय है और शादी ब्याह अवसरों पर ये काफ़ी बजा करता था। आप
भी आनंद उठाइए इसका। संगीत तैयार किया है राजेश रोशन ने और गायक
हैं मोहम्मद अज़ीज़ और अनुराधा पौडवाल। डांस की स्टाइल है १-२-३- किक
और उसके साथ साथ थोडा सा ट्विस्ट, बेन्ड इत्यादि भी हो रहा है।
गीत के बोल:
काली तेरी चोटी है परांदा तेरा लाल नी
काली तेरी चोटी है परांदा तेरा लाल नी
रूप की ओ रानी तू परांदे को संभालनी
रूप की ओ रानी तू परांदे को संभालनी
किसी मनचले का तुझ पे आ गया जो दिल होगी बड़ी मुश्किल
किसी मनचले का तुझ पे आ गया जो दिल होगी बड़ी मुश्किल
मैंने भी मुश्किलों से खेलना है सीखा
मैंने भी मुश्किलों से खेलना है सीखा
मेरी भी तमन्ना मुझ पे आये दिल किसी का
मेरी भी तमन्ना मुझ पे आये दिल किसी का
आशिक का परांदे नाल बाँध लूंगी दिल होगी कैसे मुश्किल
आशिक का परांदे नाल बाँध लूंगी दिल होगी कैसे मुश्किल
दावतें देती है तेरे गालों की ये लाली
गालों की ये लाली, गालों की ये लाली
दावतें देती है तेरे गालों की ये लाली
बन बैठा मेरा दिल तेरा ही सवाली
फूल नहीं गाल दहकते हैं शोले
शोने शोने हो बड़े दिल के हो भोले
ओ शोलों से लिपट के पतंगे झूमते हैं
शोलों से लिपट के पतंगे झूमते हैं
जल जाएँ चाहें शमा को चूमते हैं
किसी सिरफिरे का तुझ पे आ गया जो दिल होगी बड़ी मुश्किल
मर मिटने की तूने बात कैसे सोची
बात कैसे सोची, बात कैसे सोची
मर मिटने की तूने बात कैसे सोची
ना तू मेरा माही ना तू मेरा है पडोसी
कोई जो मलाई सी कलाई थाम लेगा
आशिक क्या होते हैं माही तुझे पता तब चलेगा
जाऊंगी तभी जब माही डोला लायेगा
जाऊंगी तभी जब माही डोला लायेगा
तेरे जैसा हाथ मलता ही रह जायेगा
सजना के साथ मैं तो जाऊंगी निकाल होगी तेरी मुश्किल
सजना के साथ मैं तो जाऊंगी निकाल होगी तेरी मुश्किल
काली तेरी चोटी है परांदा तेरा लाल नी
काली तेरी चोटी है परांदा तेरा लाल नी
ओ रूप की ओ रानी तू परांदे को संभालनी
ओ रूप की ओ रानी तू परांदे को संभालनी
किसी मनचले का तुझ पे आ गया जो दिल होगी बड़ी मुश्किल
आशिक का परांदे नाल बाँध लूंगी दिल होगी कैसे मुश्किल
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Kaali teri choti hai-Bahar aane tak 1990
1 comments:
What a description, amazing.
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