जीत ही लेंगे बाज़ी हम तुम-शोला और शबनम १९६१
एक और फ्लेश बैक वाला गीत सुन लिया जाए।
धर्मेन्द्र ने कई रोमांटिक फिल्मों में अभिनय किया है।
ये उनके फ़िल्मी जीवन के प्रथम दौर की फिल्म है
साहब क्या लाजवाब गीत मिला उनको परदे पर
जिसे हम सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ कर्णप्रिय युगल गीतों
में गिनते हैं। धर्मेन्द्र के साथ परदे पर 'तरला' नामक
अभिनेत्री हैं जिन्हें मैंने किसी और फिल्म में देखा
हो याद नहीं। गीत लिखा है ..... ने और पिछले गीत की
तरह इसकी धुन भी बनाई है खय्याम ने। बस गीतकार
बदल गए हैं-कैफ़ी आज़मी। खय्याम ने जितना भी संगीत
दिया वो सौम्य किस्म का है। कभी कभार ही उन्होंने
शोरगुल वाले फार्मूले का इस्तेमाल किया है। उनके
संगीतबद्ध ठेठ पंजाबी गीत भी कर्णप्रिय हैं। फ़िल्म 'शोला और
शबनम' के इस गीत में बस दूसरे अंतरे की एक पंक्ति ही
सुनने में खटकती है जहाँ नायक कहता है-तू भी पल भर
रूठे ना । ये पंक्ति पहली पंक्ति के साथ मेल नहीं खाती।
गीत के बोल:
फूल को ढूंढें प्यासा भंवरा
दीपक को परवाना
दुनिया अपने रब को पुकारे
दुनिया अपने रब को पुकारे
तुझको तेरा दीवाना
आ जा, आ जा, आ जा, आ जा
जीत ही लेंगे बाज़ी हम तुम
खेल अधूरा छूटे ना
प्यार का बंधन
जनम का बंधन
जनम का बंधन टूटे ना
प्यार का बंधन टूटे ना
जीत ही लेंगे बाज़ी हम तुम
खेल अधूरा छूटे ना
प्यार का बंधन
जनम का बंधन
जनम का बंधन टूटे ना
आ आ हा हा हा आ आ
मिलता है जहाँ धरती से गगन
मिलता है जहाँ धरती से गगन
आओ वहीँ हम जाएँ
तू मेरे लिए
मैं तेरे लिए
तू मेरे लिए
मैं तेरे लिए
इस दुनिया को ठुकराएँ
इस दुनिया को ठुकराएँ
दूर बसा लें दिल की जन्नत
जिसको ज़माना लुटे ना
प्यार का बंधन
जनम का बंधन
जनम का बंधन टूटे ना
प्यार का बंधन टूटे ना
हं हं हं ला ला ला ला ला
आ आ आ आ आ आ आ आ आ हं हं हं हं
मिलने की ख़ुशी ना मिलने का गम
ख़त्म ये झगडे हो जाएँ
मिलने की ख़ुशी ना मिलने का गम
ख़त्म ये झगडे हो जाएँ
तू तू ना रहे
मैं मैं ना रहूँ
तू तू ना रहे
मैं मैं ना रहूँ
एक दूजे में खो जाएँ
एक दूजे में खो जाएँ
मैं भी ना छोडूं पल भर दामन
मैं भी ना छोडूं पल भर दामन
तू भी पल भर रूठे ना
प्यार का बंधन
जनम का बंधन
जनम का बंधन टूटे ना
प्यार का बंधन टूटे ना
प्यार का बंधन
जनम का बंधन
जनम का बंधन टूटे ना
प्यार का बंधन टूटे ना
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