मेरी निगाह ने क्या काम-मोहब्बत इसको कहते हैं १९६५
एक गंभीर किस्म का रोमांटिक गीत पेश है। फिल्म
'मोहब्बत इसको कहते हैं' का एक रोमांटिक युगल गीत
आपको सुनवाया जा चुका है। अब सुनिए रफ़ी की
आवाज़ में एकल गीत। संतुलन, तहजीब और दायरे
के भीतर घूमते इस गीत में सभी कुछ इतने आहिस्ता
से कहा जा रहा है कि किसी को तनिक भी अटपटा ना
लगे और बात भी बान जाए। परदे पर इस गीत को
मराठी सिनेमा के नामचीन कलाकार रमेश देव गा रहे हैं
और हमारे रोमांटिक हीरो शशि कपूर बिस्तर पर
पड़े पड़े सुन रहे हैं। गीत शायद अभिनेत्री नंदा के लिए
गाया जा रहा है। गीत में फ्लेश बैक का दृश्य खूबसूरती
से इस्तेमाल किया गया है जिसमे शशि कपूर और नंदा
लगभग गीत की एक एक पंक्ति पर अभिनय करते नज़र
आ रहे हैं।
गीत के बोल:
मेरी निगाह ने क्या काम लाजवाब किया
मेरी निगाह ने क्या काम लाजवाब किया
उन्हीं को लाखों हसीनों में इंतेखाब किया
मेरी निगाह ने क्या
वो आये घर में बाहर आ के रुक गई जैसे
वो आये घर में बाहर आ के रुक गई जैसे
फिजा में फूलों की डाली सी झुक गई जैसे
कुछ इस अदा से किसी शोख ने हिजाब किया
कुछ इस अदा से किसी शोख ने हिजाब किया
मेरी निगाह ने क्या
वो ज़ुल्फ़-ए-नाज़ खुली खुल के कुछ ढलक सी गई
सितारे टूट पड़े चांदनी छलक सी गई
जो मैंने चेहरा-ए-जाना को बेनकाब किया
मेरी निगाह ने क्या काम लाजवाब किया
मेरी निगाह ने क्या
के मेरे गीत में वो रंग है नजाकत है
के मेरे गीत में वो रंग है नजाकत है
के सब उसी निगाह-ए-नाज़ की इनायत है
के मुझ से जर्रे को चमका के आफ़ताब किया
मेरी निगाह ने क्या काम लाजवाब किया
उन्हीं को लाखों हसीनों में इंतेखाब किया
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