कुछ ऐसे बंधन होते हैं-फ़रिश्ता या कातिल १९७७
आपको सन १९५९ की फिल्म सावन से एक युगल गीत सुनवाया था
लता और मुकेश का जिसका संगीत हंसराज बहल ने तैयार किया था।
आइये अब १८ साल बाद यानि कि १९७७ से एक गीत सुनवाते हैं। इस
मधुर गीत को संगीत की लहर पर चढ़ाया है कल्याणजी आनंदजी
ने। एक बात ज़रूर गौर फरमाएं की १८ साल बाद भी गायकों की आवाज़
का जादुई असर बरकरार है। कल्याणजी आनंदजी और हंसराज बहल
अलग अलग दौर के संगीतकार हैं, उनमे तुलना भी बेतुकी सी बात है।
उसके अलावा हंसराज बहल थे पंजाबी मूल के, तो कल्याणजी आनंदजी
की जोड़ी ठेठ गुजराती।
यहाँ केवल दोनों द्वारा तैयार कि गई सॉफ्ट माय लोदीज़ का जिक्र किया
गया है। फिल्म फ़रिश्ता या कातिल कोई बॉक्स ऑफिस पर कमाल
दिखाने वाली फिल्म नहीं थी। इसके बाकी के गीत भी शायद ही आपने
सुने हों।
शशि कपूर और रेखा पर ये मधुए गीत फिल्माया गया है। रेखा
का चेहरा कुछ गोल सा नज़र आता है इस गीत में जो उनके चेहरे की
सामान्य बनावट से थोडा अलग हट के दिख रहा है :प
रेगिस्तान की ख़ामोशी के साथ ये गीत कदम ताल मिलकर चलता सा
प्रतीत हो रहा है। हालाँकि समय के साथ साथ सुर ताल के संगम में
भी बदलाव आते चलते हैं फिर भी इसे अच्छे कर्णप्रिय गीतों की श्रेणी
में रखा जा सकता है। रेगिस्तान में फिल्माया गया सबसे कर्णप्रिय गीत
शायद फिल्म सेहरा का ही है जिसे आप सुन चुके हैं। फर्क सिर्फ इतना है
की सेहरा का फिल्मकार बेहतर था तो फ़रिश्ता या कातिल फिल्म के
कलाकार ज्यादा expressive।
वाकई, ज़िन्दगी में कुछ बंधन बिन बांधे जुड़ जाते हैं और जुड़ने के बाद
जीवन भर तड़पाते हैं। ऐसे बंधनों को अमूमन प्यार का बंधन कहा जाता
है।
कल्याणजी आनंदजी और इन्दीवर का साथ बहुत फिल्मों में रहा है। एक
बारगी सुनने में तो ये गीत इन्दीवर का लिखा सा लगता है, मगर जनाब
ये गीत अनजान ने लिखा है।
गीत के बोल:
कुछ ऐसे
कुछ ऐसे बंधन होते हैं
जो बिन बांधे बांध जाते हैं
कुछ ऐसे बंधन होते हैं
जो बिन बांधे बांध जाते हैं
जो बिन बंधे बांध जाते हैं
जो बिन बंधे बांध जाते हैं
वो जीवन भर तड़पाते हैं
कुछ ऐसे
कुछ ऐसे बंधन होते हैं
जो बिन बांधे बांध जाते हैं
जाने ये कैसा नाता है
हो ओ, जाने ये कैसा नाता है
जो बिन जोड़े जुड़ जाता है
एक दिन मन का पागल पंछी
बिन पंख लगे उड़ जाता है
सूरज छूने की कोशिश में
सूरज छूने की कोशिश में
पंछी के पर जल जाते हैं
कुछ ऐसे
कुछ ऐसे बंधन होते हैं
जो बिन बांधे बांध जाते हैं
जब प्यार की तपती राहों में
हो, ओ जब प्यार की तपती राहों में
दो प्यासे दिल मिल जाते हैं
फिर धुप छाओं बान जाती है
साँसों में फूल खिल जाते हैं
जागी आँखों के ये सपने
जागी आँखों के ये सपने
अक्सर मन को छल जाते हैं
कुछ ऐसे
कुछ ऐसे बंधन होते हैं
जो बिन बांधे बांध जाते हैं
जो बिन बंधे बांध जाते हैं
वो जीवन भर तड़पाते हैं
कुछ ऐसे बंधन होते हैं
जो बिन बांधे बांध जाते हैं
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