जवां है मोहब्बत-अनमोल घडी १९४६
हर दौर के कुछ प्रतिनिधि गीत होते हैं। उन गीतों से उस
समय के चलन का अंदाजा होता है। हर एक दशक में थोड़े
बदलाव आ जाते हैं। एक ऐसा ही प्रतिनिधि गीत है ४० के
उत्तरार्ध का। अनमोल घडी एक सफल फिल्म थी और इसके
गीत खूब बजे थे। बजे थे क्या यूँ कहिये आज भी चाव से सुने
जाते हैं। अंकल जी, आंटी जी , दादाजी और दादीजी सुना करते
हैं। चुन्नू-मुन्नू तो रीमिक्स सुनते हैं ना !
ये एक सदाबहार गीत है और आज भी युवा लगता है।
गौर फरमाएं भारी आवाज़ वाली गायिकाएं फिर से हिंदी
फिल्म संगीत में पैर ज़माने लगी हैं। बस फर्क उस दौर
और आज के दौर में ये है कि गाने की पट्टी थोड़ी ऊंची हो
गई है और शोरगुल ज्यादा हो गया है। जो हमें शोर लगता
है वही आज की पीढ़ी को झकास म्यूजिक लगता है।
अनमोल घडी के इस गीत को लिखा है तनवीर नकवी ने और
धुन बनाई है नौशाद ने। परदे पर और उसके पीछे दोनों जगह
नूरजहाँ ही इस गीत को गा रही हैं। नूरजहाँ के करियर में यह
गीत एक मील का पत्थर है। पिछला गीत आपने सुना था
सुरिंदर कौर का, उससे इस गीत की तुलना करिए और दोनों
गायिकाओं की आवाज़ में अंतर पता लगाइए तब तक मैं एक
और पोस्ट का मसाला बनाता हूँ।
गीत के बोल:
जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना
लुटाया है दिल ने ख़ुशी का खज़ाना
जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना
लुटाया है दिल ने ख़ुशी का खज़ाना
मोहब्बत करे खुश रहे मुस्कुराये
खुश रहे मुस्कुराये
मोहब्बत करे खुश रहे मुस्कुराये
खुश रहे मुस्कुराये
ना सोचे हमें क्या कहेगा ज़माना
क्या कहेगा ज़माना
जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना
लुटाया है दिल ने ख़ुशी का खज़ाना
अभी तक मुझे याद है वो कहानी
याद है वो कहानी
अभी तक मुझे याद है वो कहानी
याद है वो कहानी
ना भूलेगा बचपन का रंगीन ज़माना
हाँ रंगीन ज़माना
जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना
लुटाया है दिल ने ख़ुशी का खज़ाना
यहाँ आँखों आँखों में बात हुई है
यहाँ आँखों आँखों में बात हुई है
किसी ने ना देखा किसी ने ना जाना
हाँ किसी ने ना जाना
जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना
लुटाया है दिल ने ख़ुशी का खज़ाना
तुम आये के बचपन मेरा लौट आया
लौट आया
तुम आये के बचपन मेरा लौट आया
लौट आया
मिला है मुझे ज़िन्दगी का बहाना
ज़िन्दगी का बहाना
जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना
लुटाया है दिल ने ख़ुशी का खज़ाना
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