मोहब्बत से देखा खफा हो गए हैं-भीगी रात १९६५
रोशन ने अपने कैरियर के उत्तरार्ध में गीत की ध्वनियों
में हल्का ईको प्रभाव का काफी प्रयोग किया। ये अक्सर
गायक की आवाज़ के लिए प्रयोग में लायी जाती। कुछ
गीतों में वाद्य यन्त्र के साथ भी इसका प्रयोग हुआ है मगर
सुनने वाले का ध्यान वाद्य यन्त्र के साथ हुए खिलवाड़ पर
कम जाता है इसलिए उसको अभी नज़रअंदाज़ कर के
चलते हैं।
रफ़ी के गाये रोमांटिक गीतों के सृजन कर्ताओं में केवल
ओ पी नय्यर और शंकर जयकिशन ही नहीं बल्कि रोशन
भी शामिल हैं। ये गीत लिखा है मजरूह ने और इसे रुपहले
परदे पर गा रहे हैं प्रदीप कुमार । साथ में जो अभिनेत्री हैं
वो मीना कुमारी हैं।
गीत के बोल:
मोहब्बत से देखा खफा हो गए हैं
हसीं आज कल के खुदा हो गए हैं
हसीं आज कल के खुदा हो गए हैं
अदाओं में थी सादगी अब से पहले
हो ओ ओ, अदाओं में थी सादगी अब से पहले
वल्लाह
कहाँ रंग थे ये सुनहरे रुपहले
हो ओ ओ नज़र मिलते ही
नज़र मिलते ही क्या से क्या हो गए हैं
हसीं आज कल के खुदा हो गए हैं
किसी मोड़ पे बन के सूरज निकलना
हो ओ ओ, किसी मोड़ पे बन के सूरज निकलना
तौबा
कहीं धुप में चाँदनी बन के चलाना
हो ओ ओ जिधर देखो जलवा
जिधर देखो जलवानुमां हो गए हैं
हसीं आज कल के खुदा हो गए हैं
यहाँ तो लगा दिल पे एक ज़ख्म गहरा
हो ओ ओ, यहाँ तो लगा दिल पे एक ज़ख्म गहरा
हाय
वहां सिर्फ उनका ये अंदाज़ ठहरा
हो ओ ओ खता कर के भी
खता कर के भी बे-खता हो गए हैं
हसीं आज कल के खुदा हो गए हैं
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Mohabbat se dekha khafa ho gaye-Bheegi Raat 1965
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