हिंदी फिल्म में बरसात-हम तुम तुम हम हम तुम -त्याग १९७७
आपको सुनवाते हैं एक बर्मन ब्रांड का लता-किशोर युगल गीत।
ये भी एक बरसाती गीत है मगर बरसात दूसरे अंतरे में होगी।
इस गीत की सबसे बड़ी विशेषता बता दूं-कलाकारों की कुछ ख़ास
खूबियाँ अपने चरम पर हैं-जैसे शर्मिला के गालों के गड्ढे कुछ
ज्यादा स्पष्ट और बड़े नज़र आ रहे हैं। उनकी एक और ख़ास बात
ये है कि अभिनय करते वक़्त उनके होंठ काफी कंपकंपाते हैं
विशेषकर रोने धोने वाले दृश्यों में। इस गीत में वे काफी गदगद
हैं फिर भी होंठ कंपकंपा रहे हैं।
राजेश खन्ना जो गर्दन हिला हिला कर अभिनय किया करते थे
उनकी गर्दन भी कुछ ज्यादा ही घूम रही है इस गीत में। मानना
पड़ेगा गीत के फिल्मांकन करनेवाले के दिमाग को, जिसने दोनों
के USP का बखूबी प्रयोग किया है।
गीत आनंद बक्षी का लिखा हुआ है और इसके संगीतकार हैं
एस डी बर्मन जिनकी ये आखिरी प्रदर्शित फिल्म है । काफी
कर्णप्रिय गीत है ये ।
गीत के बोल:
हम तुम तुम हम हम तुम
एक नदी के हैं दो किनारे
हम तुम तुम हम हम तुम
कैसे मिलेंगे प्रीतम हो प्यारे
हम तुम तुम हम हम तुम
ऐसे मिलेंगे कि देखेंगे सारे
हम तुम तुम हम हम तुम
दूर क्या है पास क्या है
सुन ओ जीवन साथी
आर पार बहती धार
हमको है मिलाती
दूर क्या है पास क्या है
सुन ओ जीवन साथी
आर पार बहती धार
हमको है मिलाती
जीवन है जबसे ना जाने कब से
जीवन है जबसे ना जाने कब से
हम हैं तुम्हारे तुम हो हमारे
हम तुम तुम हम हम तुम
ऐसे मिलेंगे कि देखेंगे सारे
हम तुम तुम हम हम तुम
मान लेते हैं के चलो
तुमने ये कहा है
दिल मगर हमारा जाने
क्यूँ धड़क रहा है
मान लेते हैं के चलो
तुमने ये कहा है
दिल मगर हमारा जाने
क्यूँ धड़क रहा है
भीगे नज़ारे जैसे ये सारे
भीगे नज़ारे जैसे ये सारे
भीग ना जाएँ यूँ नैना हमारे
हम तुम तुम हम हम तुम
ऐसे मिलेंगे कि देखेंगे सारे
हम तुम तुम हम हम तुम
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